दशकुमारचरित् वाक्य
उच्चारण: [ deshekumaarecherit ]
उदाहरण वाक्य
- यह भी हो सकता है कि ' दशकुमारचरित् ' की वह पूर्वपीठिका रही हो।
- ' दशकुमारचरित् ' पर संभवत: पैशाची भाषावाली गुणाढ्य की बृहत्कथा (बड्ढकहा) का प्रभाव पड़ा है।
- ' दशकुमारचरित् ' संस्कृत के तीन प्रसिद्ध (वासवदत्ता, कादंबरी और दशकुमार चरित) गद्यकाव्यों में एक महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध कृति है।
- दूसरा कारण है-' मृचछकटिक ' और ' दशकुमारचरित् ' दोनों में चित्रित समाज एवं उनके पात्रों के चरित्रचित्रण में अत्यधिक साम्य।
- ' अवंतिसुदंरीकथा ' को (जो अपूर्ण गद्यकाव्य है) अब अनेक विद्वान् ' दशकुमारचरित् ' की कथाओं के साम्य पर दंडी की तृतीय रचना मानने लगे हैं।
- ' महाभाष्य ' और प्राचीन उपनिषदों की सहज गद्यशैली, (पंचतंत्र) ' हितोपदेश ' आदि की नीतिसाहित्यवाली सुबोध और व्यावहारिक गद्यशैली की तुलना में दशकुमारचरित् की भाषाशैली अधिक साहित्यिक और काव्यात्मक है।
- कथामूलक अलंकृत शैली के चमत्कार की परिपक्वता यद्यपि सुबंधु में प्रौढ़ और बाण में प्रौढ़तर है, तथापि उन दोनों में वर्ण्य वस्तु और पात्रों का चरित्रांकन ' दशकुमारचरित् ' की अपेक्षा धूमिल है।
- पर अन्य विद्वान् युवावस्था की शैली में ' दशकुमारचरित् ' को विरचित और प्रौढ़ावस्था की परिपक्व शैली में ' अवंतिसुंदरीकथा ' का निर्माण मानकर इसे भी (अवंतिसुंदरीकथासार के प्रमाण पर) असंदिग्ध रूप में दंडी की तृतीय रचना स्वीकार करते हैं।
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