परीक्षागुरु वाक्य
उच्चारण: [ perikesaagauru ]
उदाहरण वाक्य
- श्रीनिवासदास ने ' परीक्षागुरु ' नाम का एक शिक्षाप्रद उपन्यास भी लिखा।
- पर यथार्थवादी दृष्टि और नए शिल्प की विशिष्टता श्रीनिवासदास के ” परीक्षागुरु ' में ही है।
- अंग्रेजी ढंग का मौलिक उपन्यास पहले पहल हिन्दी में लाला श्रीनिवासदास का ' परीक्षागुरु ' ही निकला था।
- (हिन् दी का पहला उपन् यास ‘ देवरानी जेठानी की कहानी ' (1870) है अथवा ‘ परीक्षागुरु ' (1882), इस पर विद्वानों में मतभेद है।
- ' परीक्षागुरु ' से कुछ अंश नीचे दिया जाता है, ' मुझे आपकी यह बात बिल्कुल अनोखी मालूम होती है, भला परोपकारादि शुभकामों का परिणाम कैसे बुरा हो सकता है? पं. पुरुषोत्तमदास ने कहा।
- सरशार के उर्दू उपन्यासों से लेकर लाला श्रीनिवासदास के परीक्षागुरु जैसे हिंदी के प्रथम उपन्यास को उन्होंने सामंती मूल्यों को प्रतिष्ठित करने वाला उपन्यास कहा है क्योंकि उनके उपन्यासों की अंतर्वस्तु मध्यवर्ग के महाकाव्य के रूप में नहीं दिखाई पड़ती है।
- हम हिन् दी समय डॉट कॉम पर लाला श्रीनिवासदास लिखित ‘ परीक्षागुरु ' भी शीघ्र ही प्रस् तुत करेंगे, जिसका उल् लेख आचार्य रामचन् द्र शुक् ल ने अपने महत् वपूर्ण ग्रंथ ‘ हिन् दी साहित् य का इतिहास ' में किया है।
- discourseइन्हें भी पढ़ेंसंत उजाले में जीते हैं और गृहस्थ अंधेरे मेंतसलीमा नसरीनः मन्ना डे और मंडेला नाजुकअपने अंदर झांकने से ही मिलेगी सच्ची खुशीकबीर के बेटे कमाल की परीक्षागुरु की उम्रसभी एनबीटी मेरा प्रोफाइलसाइन इन मेडल जीतने के लिएथर्ड अंपायरवेबसाइट पर आपत्तिजनक कॉमेंट खोजें और दर्ज करें।
- लालाजी आपके नोवेल ' परीक्षागुरु ' सै तो मालूम होता है कि आपने अंगरेजी की भी कई किताबों की सैर की है तो जरा देख तो लिया होता कि ऐतिहासिक नोबेल या नाटकों का निबाह कैसे होता है अथवा इस बात को बँगला या गुजराती ही में (जिसमें आपको पूर्ण पंडित होने का दावा है) देख लिया होता।
- जहॉं डॉ नगेन् द्र और डॉ निर्मला जैन सरीखे विद्वानों ने लाला श्रीनिवासदास के ‘ परीक्षागुरु ' को हिन् दी का पहला मौलिक उपन् यास माना है, वहीं डॉ गोपाल राय व डॉ पुष् पपाल सिंह आदि ने पं गौरीदत् त रचित ‘ देवरानी जेठानी की कहानी ' को हिन् दी का पहला उपन् यास होने का गौरव प्रदान किया है।
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