प्रशस्तपादभाष्य वाक्य
उच्चारण: [ pershestepaadebhaasey ]
उदाहरण वाक्य
- इच्छा का विस्तृत निरूपण प्रशस्तपादभाष्य में उपलब्ध होता है।
- वैशेषिक दर्शन में प्रमाण मीमांसा: प्रशस्तपादभाष्य तथा उपस्कारभाष्य के विशेष संदर्भ में
- प्रशस्तपादभाष्य में कारण भेद से चार प्रकार के सुखों का उल्लेख किया गया है-
- वैशेषिक सूत्र के प्रशस्तपादभाष्य के टीकाकार श्रीधराचार्य नें ' न्यायकन्दली' टीका के उद्देश्य प्रकरण में इन पदार्थों की परिभाषाऍं अधोलिखित प्रकार से की हैं-
- वैशेषिक सूत्र के प्रशस्तपादभाष्य के टीकाकार श्रीधराचार्य नें ' न्यायकन्दली' टीका के उद्देश्य प्रकरण में इन पदार्थों की परिभाषाऍं अधोलिखित प्रकार से की हैं-
- श्लोकवार्तिक कुमारिल; योगसूत्रभाष्य व्यास; तर्कभाषा केशव मिश्र; काव्यालंकारवृति वामनकृत; खंडनखंडखाद्य; अद्वैतसिद्धि: मधुसूदन सरस्वती; विद्यारण्यकृत विवरणप्रमेयसंग्रह; न्याससूत्रभाष्य और वार्तिक 4 खंड; प्रशस्तपादभाष्य न्यायकंदली सहित; जैमिनीय पूर्वमीमांसा सूत्र;
- इस नाम का उल्लेख प्रशस्तपाद ने पदार्थ धर्म-संग्रह में इस प्रकार किया है-' विरुद्धासिद्धसंदिग्धमलिंगं काश्यपोऽब्रवीत्॥ balloon title = ” प्रशस्तपादभाष्य (श्रीनिवास शास्त्री सम्पादित संस्करण, पृ.
- ऐसे ही सुश्रुत की सुश्रुत संहिता, पाणिनि के अष्टाध्यायी, पतञ्जलि के महाभाष्य, अमर सिंह के अमरकोष, दर्शन के प्रशस्तपादभाष्य आदि ग्रंथों में प्राणियों के वर्गीकरण के विस्तृत विवरण मिलते हैं।
- ' द्रव्यत्व जाति से युक्त एवं गुण का जो आश्रय हो, वह द्रव्य है ' *-इस जातिघटित लक्षण की रीति से भी द्रव्य के लक्षण का उल्लेख प्रशस्तपादभाष्य, व्योमवती, किरणावली, सप्तपदार्थी आदि ग्रन्थों में मिलता है, किन्तु चित्सुख ने इस मत की आलोचना करते हुए इस संदर्भ में यह कहा कि द्रव्यत्व जाति में कोई प्रमाण नहीं है।
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