वसंतराज वाक्य
उच्चारण: [ vesnetraaj ]
उदाहरण वाक्य
- ३. मेरे निजी अध्ययन-कक्ष में महामहोपाध्याय पंडित वसंतराज चक्रधर लिखित “
- सूरज भी नित दिन आता था दो घड़ी को थम सा जाता था करके सुख-दु: ख की दो बातें शाखों में रंग भर जाता था सोने-चाँदी के रंगों सी कुछ कटी पतंगें भटक गईं स्नेह डोर के बंधन बंध आकर पीपल पर अटक गईं फिर खुशियाँ आईं पीपल पर उसमें भी नव-संचार हुआ ताँबई-सुनहले पत्तों से पीपल का नव-श्रंगार हुआ विश्वास डोर बँधी तन में चरणों में आशा दीप जले वसंतराज ने दी तब दस्तक पंछी लौटे फिर सांझ ढले जब सब बदला ऋत भी बदली पतझड़ ने भी अलविदा कहा पीपल शरमाया बोला हँसकर लेकिन मैंने बहुत सहा ।