वैराग्यशतकम् वाक्य
उच्चारण: [ vairaagayeshetkem ]
उदाहरण वाक्य
- ‘लोकः आचरति अहितम् '-भर्तृहरिकृत वैराग्यशतकम् से 25 जन 2009
- उक्त वैराग्यशतकम् में एक श्लोक है जो मुझे विशेष रूप से प्रभावी लगा ।
- वैराग्यशतकम् भर्तृहरि के तीन प्रसिद्ध शतकों जिन्हें कि शतकत्रय कहा जाता है, में से एक है।
- राजा भर्तृहरि ने बतौर कवि के शतकत्रयम् की रचना की थी, जिसके तीन खंड हैं: नीतिशतकम्, शृंगारशतकम् एवं वैराग्यशतकम् ।
- उनकी रचनाओं में से एक, शतकत्रयम्, काफी चर्चित रही है, जिसके तीन खंड हैं: नीतिशतकम्, शृंगारशतकम् एवं वैराग्यशतकम् ।
- जीवन-यात्रा के अंत की ओर अग्रसर हो रहे मेरे एक मित्र जब अपनी व्याधियों का वर्णन करने लगे कि कैसे अब उन्हें सुनाई कम देता है, कि चश्मा भी मददगार नहीं रह गया है, कि दांतों के अभाव में ‘डेंचर'से काम चलाना पड़ता है, कि घुटने में दर्द बना ही रहता है, इत्यादि, तो मुझे राजा भर्तृहरि के वैराग्यशतकम् का एक श्लोक स्मरण हो आया ।
- जीवन-यात्रा के अंत की ओर अग्रसर हो रहे मेरे एक मित्र जब अपनी व्याधियों का वर्णन करने लगे कि कैसे अब उन्हें सुनाई कम देता है, कि चश्मा भी मददगार नहीं रह गया है, कि दांतों के अभाव में ‘ डेंचर ' से काम चलाना पड़ता है, कि घुटने में दर्द बना ही रहता है, इत्यादि, तो मुझे राजा भर्तृहरि के वैराग्यशतकम् का एक श्लोक स्मरण हो आया ।
अधिक: आगे