शारदातनय वाक्य
उच्चारण: [ shaaredaateny ]
उदाहरण वाक्य
- साहित्यदर्पणकार विश्वनाथ की स्थापनाओं (6/274-75) क समानता शारदातनय (भावप्रकाश, अष्टम अधिकार) के विचारों जैसी है।
- शारदातनय (“भावप्रकाश”, 1100-1130 ई.) तथा शिंव भूपाल (“रसार्णव-सुधाकर”, 14वीं शताब्दी) ने ज्यों का त्यों स्वीकार किया है।
- धनंजय तथा शारदातनय ने भी लगभग इसी आधार पर प्रहसन के तीन भेज किए हैं-शुद्ध, वैकृत (विकृत), संकर।
- धनंजय तथा शारदातनय ने भी लगभग इसी आधार पर प्रहसन के तीन भेज किए हैं-शुद्ध, वैकृत (विकृत), संकर।
- इनमें आचार्य हेमचन्द्र, विश्वनाथ, जयदेव, शारदातनय, शिङ्गभूपाल, भानुदन्त, गौडीय वैष्णव आचार्य रूपगोस्वामी आदि हैं।
- आचार्य शारदातनय ने ‘द्वादशसाहस्त्री संहिता ' के रचयिता वृद्ध भरत को और ‘षट्साहस्त्री संहिता' के रचयिता आचार्य भरत को माना है।
- धनंजय तथा शारदातनय ने भी लगभग इसी आधार पर प्रहसन के तीन भेज किए हैं-शुद्ध, वैकृत (विकृत), संकर ।
- शारदातनय (13वीं शती) ने इच्छा तथा उत्कंठा को जोड़कर तथा विद्यानाथ (14वीं शती पूर्वार्ध) ने स्मरण के स्थान पर संकल्प लाकर और प्रलाप तथा संज्वर को बढ़ाकर इनकी संख्या 12 मानी है।
- शारदातनय (13वीं शती) ने इच्छा तथा उत्कंठा को जोड़कर तथा विद्यानाथ (14वीं शती पूर्वार्ध) ने स्मरण के स्थान पर संकल्प लाकर और प्रलाप तथा संज्वर को बढ़ाकर इनकी संख्या 12 मानी है।
- शारदातनय (13 वीं शती) ने इच्छा तथा उत्कंठा को जोड़कर तथा विद्यानाथ (14 वीं शती पूर्वार्ध) ने स्मरण के स्थान पर संकल्प लाकर और प्रलाप तथा संज्वर को बढ़ाकर इनकी संख्या 12 मानी है।
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