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शुकरहस्योपनिषद वाक्य

उच्चारण: [ shukerhesyopenised ]

उदाहरण वाक्य

  1. नीचे दिये हुए पन्ने शुकरहस्योपनिषद से जुड़ते हैं:
  2. शुकरहस्योपनिषद कृष्ण यजुर्वेदीय उपनिषद शाखा का उपनिषद है.
  3. शुकरहस्योपनिषद के ॐ अयमात्मा ब्रह्म महावाक्य का अर्थ है ‘
  4. शुकरहस्योपनिषद से जुड़े हुए पन्ने-भारतकोश, ज्ञान का हिन्दी महासागर
  5. शुकदेव जी के नाम से ही इस उपनिषद को शुकरहस्योपनिषद कहा गया है.
  6. कृष्ण यजुर्वेदीय उपनिषद (शुकरहस्योपनिषद) में महर्षि व्यास के आग्रह पर भगवान शिव उनके पुत्र शुकदेव को चार महावाक्यों का उपदेश “ बृह्म रहस्य ” के रूप में देते हैं ।
  7. शुकरहस्योपनिषद में बताया गया है कि किस प्रकार ऋषि व्यास जी अपने पुत्र शुकदेव की ज्ञान प्राप्ति के लिए भगवान शिव के पास जाते हैं और उनसे प्रार्थना करते हैं कि वह उनके पुत्र शुकदेव को चार प्रकार के मोक्ष महावाक्य बताएं.
  8. शुकरहस्योपनिषद में इस ॐ तत्त्वमसि महावाक्य को स्पष्ट करते हुए भगवन कहते हैं कि ब्रह्म तुम्हीं हो, सृष्टि पूर्व, द्वैत रहित, नाम, रूप से रहित, केवल ब्रह्म ही विराजमान था और आज भी वही है आदि से अंत उसी की सत्ता उपस्थित रही है.
  9. शुकरहस्योपनिषद में इस ॐ अहं ब्रह्मास्मि महावाक्य के अर्थ को बताते हुए कहा गया है कि ‘ मैं ब्रह्म हूं ' जब जीव परमात्मा का अनुभव प्राप्त कर लेता है, और उससे साक्षात्कार कर बैठता है तब वह उसी ब्रह्म का रूप हो जाता है और साधक एवं ब्रह्म के मध्य द्वैत भाव समाप्त हो जाता है.
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