सरस्वतीकंठाभरण वाक्य
उच्चारण: [ sersevtikenthaabhern ]
उदाहरण वाक्य
- सरस्वतीकंठाभरण एक दीर्घकाय ग्रंथ है जिसमें पाँच परिच्छेद हैं।
- इस अंश में भी सरस्वतीकंठाभरण की सर्वथा निजी विशेषता है।
- सरस्वतीकंठाभरण, काव्यतत्व का विवेचन करनेवाला संस्कृत-साहित्य-शास्त्र का एक माननीय ग्रंथ है।
- सरस्वतीकंठाभरण में रससिद्धांत की विवेचना प्राय: विषय पर एक विहंगम दृष्टिमात्र है।
- अतएव सरस्वतीकंठाभरण का रचनाकाल ईसवी ग्यारहवीं शताब्दी का मध्य माना जा सकता है।
- यों भोजदेव के सरस्वतीकंठाभरण ने अंशत: मम्मट को एवं विश्वनाथ को प्रभावित किया है।
- सरस्वतीकंठाभरण की विशेषता यह है कि यह इतर साहित्यशास्त्रीय ग्रंथों की अपेक्षा व्यापक एवं व्युत्पादक ग्रंथ है।
- सरस्वतीकंठाभरण, शृंगारमंजरी, चंपूरामायण, चारुचर्या, तत्वप्रकाश, व्यवहारसमुच्चय आदि अनेक ग्रंथ इनके लिखे हुए बतलाए जाते हैं।
- बाणभट्ट ने काव्यसोष्ठव के विशेष तत्व, शय्या का उल्लेख किया है परंतु उसकी परिभाषा केवल सरस्वतीकंठाभरण में ही उपलब्ध होती है।
- सरस्वतीकंठाभरण में उद्धृत उदाहरण श्लोकों की सूची और उनके रचयिताओं की खोज कर एक सूची कर्नल जेकब ने बनाई है, जो इंडिया ऑफिस लायब्रेरी, लंदन में सुरक्षित है।
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