सिद्धान्तशिरोमणि वाक्य
उच्चारण: [ sidedhaanetshiromeni ]
उदाहरण वाक्य
- यह सिद्धान्तशिरोमणि का द्वितीय भाग है।
- इसी बात को ‘ सिद्धान्तशिरोमणि ' में भास्कराचार्य ने इस प्रकार लिखा है-
- इसके अलावा करणकुतूहल और वासनाभाष्य (सिद्धान्तशिरोमणि का भाष्य) तथा भास्कर व्यवहार और भास्कर विवाह पटल नामक दो छोटे ज्योतिष ग्रंथ इन्हीं के लिखे हुए हैं।
- इसके अलावा करणकुतूहल और वासनाभाष्य (सिद्धान्तशिरोमणि का भाष्य) तथा भास्कर व्यवहार और भास्कर विवाह पटल नामक दो छोटे ज्योतिष ग्रंथ इन्हीं के लिखे हुए हैं।
- मध्ययुग के अद्वितीय गणितज्ञ भास्कराचार्य द्वितीय ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक सिद्धान्तशिरोमणि (लीलावती, बीजगणित, गोलाध्याय, ग्रहगणितम्) एवं करण कुतूहल में गणित की विभिन्न शाखाओं तथा अंकगणित, बीजगणित, त्रिकोणमिति आदि को एक प्रकार से अंतिम रूप दिया है।
- मध्ययुग के अद्वितीय गणितज्ञ भास्कराचार्य द्वितीय ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक सिद्धान्तशिरोमणि (लीलावती, बीजगणित, गोलाध्याय, ग्रहगणितम्) एवं करण कुतूहल में गणित की विभिन्न शाखाओं तथा अंकगणित, बीजगणित, त्रिकोणमिति आदि को एक प्रकार से अंतिम रूप दिया है।
- कालान्तर के बाद आर्यभट्ट और बाराहमिहिर ने शास्त्र का संवर्धन किया और अपने आधार से ठोस आधार प्रदान किये. “ भास्कराचार्य ” ने तो न्यूटन से बहुत पहले ही पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण-शक्ति का प्रतिपादन कर दिया था, जिसे उन्होने अपने ग्रंथ “ सिद्धान्तशिरोमणि ” में प्रस्तुत किया है. ”
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