संज्ञा • soul | • empirical self |
जीवात्मा अंग्रेज़ी में
[ jivatma ]
जीवात्मा उदाहरण वाक्यजीवात्मा मीनिंग इन हिंदी
उदाहरण वाक्य
- This practice implies two things : one , the individual soul is pashu -LRB- lit . , cattle -RRB- and that God is Pashupati , the master .
इस चर्चा से दो बातें लक्षित होती हैं : एक , जीवात्मा पशु है तथा ईश्वर पशुपति है . - This practice implies two things : one , the individual soul is pashu -LRB- lit . , cattle -RRB- and that God is Pashupati , the master .
इस चर्चा से दो बातें लक्षित होती हैं : एक , जीवात्मा पशु है तथा ईश्वर पशुपति है . - Two , the human soul is God himself and it is by slow and steady practice that the soul can rise up and reach God and become God Himself .
दूसरे , जीवात्मा तत्वत : परमात्मा ही है तथा क्रमिक और नियमपूर्ण साधना द्वारा वह ईश्वर तक पहुंच सकता है और ईश्वरत्व प्राप्त कर सकता है . - Two , the human soul is God himself and it is by slow and steady practice that the soul can rise up and reach God and become God Himself .
दूसरे , जीवात्मा तत्वत : परमात्मा ही है तथा क्रमिक और नियमपूर्ण साधना द्वारा वह ईश्वर तक पहुंच सकता है और ईश्वरत्व प्राप्त कर सकता है . - While the similarity between the two is striking , the difference is equally striking between the poet 's hope of ' meeting the Pilot , and the saint 's vision of having met the Pilot , face to face . -LSB- PREVIOUS -RSB- -LSB- NEXT -RSB- THE LAST YEARS IN METTUKUPPAM SAW A RAMALINGA WHO had turned away from formal religion and become the prophet of universal brotherhood , based on the identity of the soul in all life -LRB- not only in mankind -RRB- , and his conception of God as the Light of Consciousness in all , the Supreme Light whose nature is grace , and which man can attain only by developing and being turned into such grace himself at his own level .
दोनों का साम्य आश्चर्यजनक है , साथ ही दोनों का वैषम्य भी ध्यान देने योग़्य है-एक कविता की अपने संवाहक को देखने की कामना और एक संत की , देख चुकने के बाद की द्Qष्टि ! मेट्टुकप्पम के अंतिम दिनों में रामलिंग धर्म से विमुख हो गये थे और उस विश्व -बंधुत्व के प्रचारक हो गये थे जो सभी जीवात्मा मे ( केवल मनूष्यो मे ही नही ) आत्मा की एकात्माकता पर आधारित है . ईश्वर की परिकल्पना उन्होनें परम प्रकाश के रूप मे की है लिसकी प्रकृति ही करूणा है , तथा मानव इसे तभी प्राप्त कर सकता है जब ऐसी ही करूणा अपने स्तर पर अपने भीतर उतार ले
परिभाषा
संज्ञा- प्राणियों की वह चेतन शक्ति जिससे वे जीवित रहते हैं:"शरीर से प्राण का बहिर्गमन ही मृत्यु है"
पर्याय: प्राण, जीव, जान, जाँ, जीवन-शक्ति, आत्मा, चेतना, चैतन्य, दम, नफ़्स, नफ़स, जीवड़ा, जीवथ, सत्व, सत्त्व, स्पिरिट, पुंगल, उक्थ, धातृ - सजीव प्राणी या वह जिसमें प्राण हो:"पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार के जीव पाये जाते हैं"
पर्याय: जीव, प्राणी, जीवधारी, जीव-जंतु, जीवजंतु, जीव_जंतु, जीव-जन्तु, जीवजन्तु, जीव_जन्तु, अनीश, सजीव, प्राणधारी, तनुधारी, जीवक, प्राणक, आसना, मंदसानु, मन्दसानु, जात, सत्व, सत्त्व - मन या हृदय के व्यापारों का ज्ञान कराने वाली सत्ता:"आत्मा का कभी नाश नहीं होता है"
पर्याय: आत्मा, रूह, अमा, आतम, आतमा, अंतरिक्षसत्, अन्तरिक्षसत्, धातृ, विभु, पुद्गल, सत्व, सत्त्व - वह आत्मा जो संसार में लिप्त रहता है:"जीवात्मा भी वास्तव में ब्रह्म ही है"