अमनोयोग का अर्थ
[ amenoyoga ]
अमनोयोग उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञाउदाहरण वाक्य
- इसे हम यों भी कह सकते हैं कि अमनोयोग अज्ञानांधकार तथा स्वप्रयोजन ही इस भवचक्र के प्रमुक कारण हैं और भक्तिभाव , बुद्धत्व तथा निष्काम कर्मयोग मोक्ष प्राप्ति के प्रमुख साधन।
- इसे हम यों भी कह सकते हैं कि अमनोयोग अज्ञानांधकार तथा स्वप्रयोजन ही इस भवचक्र के प्रमुक कारण हैं और भक्तिभाव , बुद्धत्व तथा निष्काम कर्मयोग मोक्ष प्राप्ति के प्रमुख साधन।
- भक्ति की दृष्टि से अभक्ति , अनास्था , अश्रद्धा , अविश्वास , अप्रत्यय , अनिदिंष्ट , अनियत , निश्चय , अप्रसन्नता , अमनोयोग , अन्यमनस्क , अनमना , अनवधान , असावधानी , अवज्ञा , अनादर , अपमान , उदासी , प्रमाद अविद्या , भ्रांति , संदेह , विमुख , विरति , माया तथा मोह के कारण और कर्म की दृष्टि से अकर्म , अकर्मक , अकर्मण्य , अउद्यम , दुष्कर्म तथा कुकर्म के कारण जन्म-मरण होता है।
- भक्ति की दृष्टि से अभक्ति , अनास्था , अश्रद्धा , अविश्वास , अप्रत्यय , अनिदिंष्ट , अनियत , निश्चय , अप्रसन्नता , अमनोयोग , अन्यमनस्क , अनमना , अनवधान , असावधानी , अवज्ञा , अनादर , अपमान , उदासी , प्रमाद अविद्या , भ्रांति , संदेह , विमुख , विरति , माया तथा मोह के कारण और कर्म की दृष्टि से अकर्म , अकर्मक , अकर्मण्य , अउद्यम , दुष्कर्म तथा कुकर्म के कारण जन्म-मरण होता है।