अरति का अर्थ
[ areti ]
अरति उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- आसक्त न होने की अवस्था या भाव:"अनासक्ति के कारण ही लोग वैराग्य धारण कर लेते हैं"
पर्याय: अनासक्ति, विरक्ति, आसक्तिहीनता, विराग, निर्लिप्ति, अपराग, विषयत्याग, इंद्रियासंग, इन्द्रियासङ्ग, अवसादन, असंसक्ति, उदासीनता - जैनशास्त्रानुसार एक कर्म:"अरति के उदय से मन किसी काम में नहीं लगता है"
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- 22 . अरति - ( बेचैनी का होना )।
- 22 . अरति - ( बेचैनी का होना )।
- असंयम ( बुराईयों ) के प्रति हमारे अंतरमन में अरूचि अरति पैदा करते रहे हैं।
- संसार के सिवा कोई अन्य स्थान ही नहीं है , फिर किसका अवलम्बन करके संसार में अरति करनी चाहिए ? ऐसी आशंका कर कहते हैं।
- / ref > * अप्रमाद अपने चित्त का दमन करता है , दूसरों के चित्तों की रक्षा , क्लेश में अरति एवं धर्म में रति है।
- अभी तो उतरी थी भीतर गहरी अरति भागम भाग से श्लथ भीड़ में हताहत मैं दौड़ा था तुम्हारी तरफ और ये किस साजिश के तहत आज हम दोनों एक साथ यहाँ , इस लकदक ड्राईंग रूम में क्या ऐसे ही होना था मुझे शरणागत !
- मोहनीय के 28 भेद हैं- 4 अनन्तानुबंधी , 4 अप्रत्याख्यानावरण , 4 प्रत्याख्यानावरण , 4 संज्वलन- ये 16 कषायें तथा हास्य , रति , अरति , भय , जुगुप्सा , शोक , स्त्रीवेद , पुरुषवेद , नपुंसकवेद- ये 9 नोकषाय और मिथ्यात्व , सम्यक्त्व तथा सम्यग्मिथ्यात्व - ये तीन दर्शनमोह।
- मोहनीय के 28 भेद हैं- 4 अनन्तानुबंधी , 4 अप्रत्याख्यानावरण , 4 प्रत्याख्यानावरण , 4 संज्वलन- ये 16 कषायें तथा हास्य , रति , अरति , भय , जुगुप्सा , शोक , स्त्रीवेद , पुरुषवेद , नपुंसकवेद- ये 9 नोकषाय और मिथ्यात्व , सम्यक्त्व तथा सम्यग्मिथ्यात्व - ये तीन दर्शनमोह।
- अपने विभ्रम , हर्ष एवम् दर्प नामक तीनों पुत्रों तथा अरति , प्रीति तथा तृषा नामक पुत्रियों सहित पुष्पधन्वा ‘ मार ' संसार को मोहित करने वाले अपने पांचों बाणों को लेकर अश्वत्थ वृक्ष के मूल में स्थित प्रशान्तमूर्ति समाधिस्थ सर्वार्थसिद्ध को भौतिक प्रलोभनों से विचलित करने का असफल प्रयास करता है।