अविकच का अर्थ
[ avikech ]
अविकच उदाहरण वाक्य
परिभाषा
विशेषणउदाहरण वाक्य
- शान्तिप्रिय द्विवेदी के शब्दों में ‘ वीणा ' में पन्तजी के ‘ अविकच शैशव का अबोध जगत् है।
- इसी प्रकार- ‘ हा ! मेरे बचपन से कितने बिखर गये जग के श्रृंगार , जिनकी अविकच दुर्बलता ही थी उसकी शोभालंकार , जिनकी निर्भयता विभूति थी , सहज सरलता शिष्टाचार , औ ' जिनकी अबोध पावनता थी जग के मंगल की द्वार ! उपर्युक्त पद्य में ‘ शोभालंकार ' तथा ‘ द्वार ' का लिंग ‘ दुर्बलता ' तथा ‘ पावनता ' के अनुसार ही लेना मुझे श्रुतिमधुर जान पड़ता है , इसी प्रकार अन्यत्र भी।