अविरति का अर्थ
[ avireti ]
अविरति उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- किसी कर्म, समाज आदि से विरक्त न होने का भाव:"अविरक्ति के कारण ही हम मोह माया में जकड़े हुए हैं"
पर्याय: अविरक्ति, अवैराग्य, विषायासक्ति, आसक्ति - तल्लीन होने की अवस्था या भाव:"दिवाकर तल्लीनता से अपने काम में लगा हुआ था"
पर्याय: तल्लीनता, एकाग्रचित्तता, एकाग्रता, तन्मयता, निमग्नता, अनन्यचित्तता, दत्तचित्तता, लीनता, अनुरति, अभिनिविष्टता, मनोयोगिता - अविराम होने की अवस्था या भाव या सदा गतिशील रहने का भाव:"अविरामता ही जीवन का मूल मंत्र है"
पर्याय: अविरामता, अबाधता, अनवरतता, निरंतरता, सततता, सातत्य, निरन्तरता, अविच्छिन्नता, अविरत - जैनमतानुसार धर्मशास्त्र की मर्यादा से रहित वर्त्ताव करने की क्रिया:"अविरति निंदनीय है"
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- अविरति चालत रह भी मुद जाती है .
- अविरति - सांसारिक विषयों की ओर से विरक्ति न होना।
- मूल कारण मिथ्यात्व , अविरति , कषाय और योग हैं।
- मूल कारण मिथ्यात्व , अविरति , कषाय और योग हैं।
- वह मिथादर्शन , अविरति, प्रमाद, कषाय और योग इन पाँच हेतुओं से उत्पन्न होता है।
- वह मिथादर्शन , अविरति, प्रमाद, कषाय और योग इन पाँच हेतुओं से उत्पन्न होता है।
- 6 . अविरति विषय वासना में आसक्त होना है जिस कारण वैराग्य का अभाव हो जाता है।
- 6 . अविरति विषय वासना में आसक्त होना है जिस कारण वैराग्य का अभाव हो जाता है।
- भावास्त्रव के अनेक भेद हैं- 1 . मिथ्यात्व 2 . अविरति , 3 . प्रमाद , 4 . कषाय और 5 .
- भावास्त्रव के अनेक भेद हैं- 1 . मिथ्यात्व 2 . अविरति , 3 . प्रमाद , 4 . कषाय और 5 .