इज़्तिराब का अर्थ
[ ijetiraab ]
इज़्तिराब उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- / उनकी दुर्दशा देखकर बड़ी कोफ़्त होती है"
पर्याय: दुख, दुःख, तक़लीफ़, तकलीफ, कष्ट, दुख-दर्द, क्लेश, परेशानी, पीड़ा, आपत्, आपद्, आपद, कोफ़्त, कोफ्त, आफ़त, बला, आफत, अघ, कसाला, अनिर्वृत्ति, तसदीह, तस्दीह, दुहेक, वृजिन, दोच, दोचन, अरिष्ट, अलिया-बलिया, अक, अलाय-बलाय, अवसन्नता, अवसन्नत्व, अवसेर, असुख, अशर्म, आदीनव, आभील, आर्त्तत, आर्त्ति, आस्रव, आस्तव, ताम, इज्तिराब, इज़तिराब, इजतिराब, ईज़ा, ईजा, ईति
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- नफ़स नफ़स सर-ब-सर परेशां , नज़र नज़र इज़्तिराब में है
- कहती हैं आँखें उनकी इज़्तिराब में कोई रात भर सो न सका ,
- वीरां दिल की दुनिया है कोई भी नहीं है , ये इज़्तिराब [ १ ] क्यूँ मेरे हर सू पसर गया ll
- गिलह है शौक़ को दिल में भी तन्गी-ए जा का गुहर में मह्व हुआ इज़्तिराब दर्या का यह जान्ता हूं कि तू
- बयान-ए-हुस्न-ओ-शबाब होगा तो फिर न क्यों इज़्तिराब होगा ? ख़बर न थी अपनी जुस्तजू में हिजाब-अन्दर-हिजाब होगा ! कहा करे मुझको लाख दुनिया सुकूत मेरा जवाब होगा किसे ख़बर थी दम-ए-शिकायत वो इस तरह आब-आब होगा ? मैं ख़ुद में रह रह कर झाँकता
- बयान-ए-हुस्न-ओ-शबाब होगा तो फिर न क्यों इज़्तिराब होगा ? ख़बर न थी अपनी जुस्तजू में हिजाब-अन्दर-हिजाब होगा ! कहा करे मुझको लाख दुनिया सुकूत मेरा जवाब होगा किसे ख़बर थी दम-ए-शिकायत वो इस तरह आब-आब होगा ? मैं ख़ुद में रह रह कर झाँकता...
- माह्ज़बीं=चाँद सा चेहरा वो शब-ए-माहताब की बातें तुझको रुसवा करेंगी खूब ऐ दिल ! तिरी ये इज़्तिराब की बातें इज़्तिराब=बेचैनी ज़िक्र क्या जोश-ए-इश्क़ में ऐ 'ज़ौक़” हम से हों सब्र-ओ-ताब की बातें (१९) २-मशहूर मत्ला दर्ज-ए-ज़ैल है .पहला मत्ला एक फ़िल्म में भी आ चुका है.
- पस इज़्तिराब , परेशान , मुश्किलात , नाहम आहंगियाँ और बे सरो सामानियाँ तुम्हारे मआशिरे पर जब स्याह रात की मान्निद साया फ़ेग़न हों तो इन के हल के लिये कहीं और न जाना बल्कि क़ुरआन से रुजू करना इसकी निजात बख्श राहनुमाई को मेआर व कसौटी क़रार देना।
- इसकी गुफ़त्गू में बहुत मिठास होती है . अन्दाज़ बहुत प्यारा और मोह लेने वाला होता है.मोसक़ी (संगीत) से ख़ास लगाव रखती हैं.जिंसी जुनून का शिकार नहीं मगर तबीयत में इज़्तिराब (आतुरता) की सी कैफ़ियत रहती है.यकसां हालात में कभी नही रहती.कहीं भी इसे एक जगह क़रार नहीं.इसकी जिस्म में लचक और चाल में ख़ुमारी होती है.ये रंगीन कपड़े पहन कर,बाल बना कर बहुत ख़ुश होती है.ये “चतुरनी ग़ज़ल”नासिर काज़मी ,मुनीर नियाज़ी ज़फ़र इक़्बाल और साक़ी फ़ारुक़ी के यहाँ अक्सर मिल जाती है.