इतरेतराभाव का अर्थ
[ itereteraabhaav ]
परिभाषा
संज्ञा- न्यायशास्त्र के अनुसार वह स्थिति जब हर एक वस्तु या व्यक्ति के गुणों का दूसरे में अभाव होता है या एक वस्तु नहीं हो सकती ऐसा भाव:"द्वैतवाद के अनुसार जीव और ईश्वर में अन्योन्याभाव है"
पर्याय: अन्योन्याभाव