चात्वाल का अर्थ
[ chaatevaal ]
चात्वाल उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- काँस की तरह की एक घास जिसका उपयोग कुछ धार्मिक कृत्यों में होता है:"हिंदू धार्मिक अनुष्ठानों में कुश की आवश्यकता पड़ती है"
पर्याय: कुश, कुशा, डाभ, डाब, दर्भ, दाभ, शार, अर्भ, पितृषदन, ब्रह्मपवित्र, वर्हा, पवित्रक - हवन करने के लिए बना हुआ गड्ढा:"हवन करने के लिए हवनकुंड में आग प्रज्ज्वलित की जा रही है"
पर्याय: हवनकुंड, हवन-कुंड, हवन कुंड, होमकुंड, होम-कुंड, होम कुंड, यज्ञकुंड, यज्ञ-कुंड, यज्ञ कुंड, अग्निकुंड, अग्नि-कुंड, अग्नि कुंड, कुंड, हवनकुण्ड, हवन-कुण्ड, हवन कुण्ड, होमकुण्ड, होम-कुण्ड, होम कुण्ड, अग्निकुण्ड, अग्नि-कुण्ड, अग्नि कुण्ड, कुण्ड - मिट्टी अथवा धातु का बना हुआ पात्र जिसमें हवन करते हैं:"हवनकुंड को अच्छी तरह से सजाया गया है"
पर्याय: हवनकुंड, हवन कुंड, हवन-कुंड, होमकुंड, होम-कुंड, होम कुंड, यज्ञकुंड, यज्ञ-कुंड, यज्ञ कुंड, अग्निकुंड, अग्नि-कुंड, अग्नि कुंड, कुंड, हवनकुण्ड, हवन-कुण्ड, हवन कुण्ड, होमकुण्ड, होम-कुण्ड, होम कुण्ड, यज्ञकुण्ड, यज्ञ-कुण्ड, यज्ञ कुण्ड, अग्निकुण्ड, अग्नि-कुण्ड, अग्नि कुण्ड, कुण्ड
उदाहरण वाक्य
- ( शत . ब्रा . 4.2.1.31 ) कृष्ण मृग के चर्म को कृष्णाजिन और व्याघ्र या सिंह के चर्म को शार्दूल कहा जाता हैः कृष्णाजिनमादत्ते-शत . ब्रा . 1.1.4.4 . । मृत्योर्वा एषवर्णः । यच्छर्दूल । ( तैत्ति . ब्रा . 1.7.8.1 ) ( 29 ) चात्वाल चातुर्मास्य या अग्निष्टोम याग की वेदिका से उत्तर की ओर चात्वाल बनाया जाता है ।
- ( शत . ब्रा . 4.2.1.31 ) कृष्ण मृग के चर्म को कृष्णाजिन और व्याघ्र या सिंह के चर्म को शार्दूल कहा जाता हैः कृष्णाजिनमादत्ते-शत . ब्रा . 1.1.4.4 . । मृत्योर्वा एषवर्णः । यच्छर्दूल । ( तैत्ति . ब्रा . 1.7.8.1 ) ( 29 ) चात्वाल चातुर्मास्य या अग्निष्टोम याग की वेदिका से उत्तर की ओर चात्वाल बनाया जाता है ।