त्रिलोकपति का अर्थ
[ terilokepti ]
त्रिलोकपति उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- / ईश्वर हम सबके रक्षक हैं"
पर्याय: ईश्वर, भगवान, भगवान्, भगवत्, प्रभु, परमेश्वर, परमात्मा, जगदीश, जगन्नाथ, अखिलात्मा, विश्वात्मा, त्रिलोकीनाथ, त्रिलोकेश, त्रिलोकी, विश्वनाथ, विश्वंभर, विश्वम्भर, विश्वपति, जगदीश्वर, देवेश, जगदानंद, जगदाधार, ऊपरवाला, विधाता, साँई, सांई, कर्त्ता, कर्तार, करतार, कर्ता, ईश, परमपिता, कर्ता-धर्ता, कर्ताधर्ता, कर्ता धर्ता, ठाकुर, ठाकुरजी, अखिलेश, अखिलेश्वर, दीनबंधु, दीनबन्धु, दीन-बन्धु, दीनानाथ, जाने-जहाँ, जाने-जाँ, अधिपुरुष, नाथ, जीवेश, चिन्मय, योजन, परमानंद, परमानन्द, वैश्वानर, मंगलालय, जगत्सेतु, वासु, दई, विश्वधाम, विश्वपा, विश्वभर्ता, विश्वभाव, विश्वभावन, विश्वभुज, जगन्नियंता, जगन्नियन्ता, जगन्निवास, जगद्योनि, किबलाआलम, क़िबलाआलम, किबला-आलम, क़िबला-आलम, त्रयीमय, चिंतामणि, चिन्तामणि, तमोनुद, त्रिपाद, अर्य, अर्य्य, अविनश्वर, प्रधानात्मा, भवेश, तोयात्मा, अव्यय, अशरीर, आदिकर्ता, आदिकर्त्ता, दहराकाश, चिदाकाश, आदिकारण, भवधरण, अंतर्ज्योति, अन्तर्ज्योति, कामद, अंतर्यामी, अन्तर्यामी, इलाही, इश्व, इसर, ईशान, ईस, ईसर, नित्यमुक्त, वरेश, विभु, सद्गुरु, सतगुरु, करुण, कर्ताधर्ता, खालिक, ख़ालिक़, योग, जोग - तीनों लोकों का नाथ या मालिक:"परमेश्वर ही त्रिलोकनाथ है"
पर्याय: त्रिलोकनाथ, त्रिलोकीनाथ, त्रिलोकेश
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- ईश्वर , भगवान, प्रभु, परमेश्वर, परमात्मा, जगदीश, त्रिलोकपति 9. सर्किट
- है , चाहे श्री ब्रह्मा, श्री विष्णु तथा श्री शिव त्रिलोकपति हैं।
- दुःख हरण प्रभु नारायण हे त्रिलोकपति दाता सुखनाम स्वीकारो मेरे परणाम
- ऐसे में त्रिलोकपति परमात्मा की ह ªª दय में सहज अनुभूति नहीं की जा सकती।
- एक जीव पुरुषार्थ बल से ही त्रिलोकपति इन्द्र बनकर चमकता है और देवताओं पर आज्ञा चलाता है।
- रास्ते में उन्होंने ऐरावत हाथी पर बैठे इन्द्र को त्रिलोकपति समझ कमल फूल की माला भेंट की।
- आज नहीं तो कल , त्रिलोकपति विष्णु (राम का मूल रूप) जैसा मर्यादित व्यक्ति लक्ष्मी के पास आ ही जाएगा।
- आज नहीं तो कल , त्रिलोकपति विष्णु (राम का मूल रूप) जैसा मर्यादित व्यक्ति लक्ष्मी के पास आ ही जाएगा।
- साधु से तर्क और बराबरी नहीं करनी चाहिए , नहीं तो समझो नाश है, चाहे फिर वह त्रिलोकपति रावण ही क्यों न हो।
- र्थना करें कि : ‘हे त्रिलोकपति ! मेरी लाज आपके हाथ है, अत: मुझे इस प्रण को पूरा करने की शक्ति प्रदान करें ।'