त्रिसंध्या का अर्थ
[ terisendheyaa ]
त्रिसंध्या उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- प्रातः,मध्यान्ह और सायं - ये तीनों संधिकाल:"वह प्रतिदिन त्रिसंध्या के समय उपासना करता है"
पर्याय: त्रिसंध्य
उदाहरण वाक्य
- आयुर्वेद में इसे ओड्रपुष्प या त्रिसंध्या के नाम से भी जाना जाता है।
- इस मंत्र का उपरोक्त विधि से १ ६ ००० प्रतिदिन , सोलह दिन तक लगातार शुक्र के नक्षत्र से शुरु करने के बाद लगातार जारी रखा जाना चाहिये , जिव्हा का अभ्यास सोलह दिन में पूरा हो जाता है , उसके बाद रोजाना त्रिसंध्या ( सुबह दोपहर शाम ) में कम से कम एक माला का जाप ( १ ० ८ बार ) शुक्र के बुरे प्रभाव को रोकने और सुख समृद्धि को बढाने के लिये करना चाहिये।