त्रैलोक का अर्थ
[ terailok ]
त्रैलोक उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञाउदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- भूपुर को ‘ त्रैलोक मोहन चक्र ' भी कहते हैं।
- सन् 1448 तक त्रैलोक नाम के राजा ने राज किया।
- हे प्राण तू त्रैलोक स्वामी , तेज पुंज है इन्द्र तू,
- तब अंत में रोती -विलाप करती धरती भी त्रैलोक जननी माता दुर्गा की शरण में पहुँचने का प्रयत्न करने लगी .
- भगवान श्रीगणेश अपने माता-पिता में त्रैलोक समाहित मान कर उनका पूजन और प्रदक्षिणा ( चक्कर लगाना ) करने से प्रथम पूज्यनीय बन गए।
- भगवान श्रीगणेश अपने माता पिता में त्रैलोक समाहित मनाकर उनका पूजन और प्रदक्षिण ( चक्कर लगाकर ) करने से प्रथम पूज्यनीय बन गए।
- निश्चित रूप से उस अमृत कलश से अमृत छलक कर प्रयाग की पावन धरती पर पार ब्रह्म परमेश्वर प्रदत्त संसार के लिए अनमोल धरोहर “ अक्षयवट ” के संपर्क से दिव्य शक्तियों के लिए भी अलभ्य त्रैलोक पावनी देव नदी गंगा के जल में गिरा था।
- हे प्राण तू ही त्रैलोक का स्वामी है तू ही इन्द्र है संहार कर्ता है प्रलय है तू ही रूद्र है सूर्य तू , पृ्थ्वी तू , चन्द्र , तारे , आकाश भी तू ही है सभी का रक्षक एवं पोषक तू ही सभी में विद्यमान है समस्त लोकों में , दृश्य जगत में जो भी कुछ दृष्टव्य है वह सभी कुछ प्राण के ही अधीन है और प्राण ही उसका गंतव्य है .