थम्भ का अर्थ
[ thembh ]
थम्भ उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञाउदाहरण वाक्य
- और जैसे दृढ़ थम्भ के आश्रय गृह होता है ।
- ' फूलन्ह के बिछाने', 'सोनम के थम्भ', 'चहुँदिसि', आदि प्रयोग ब्रजभाषा के हैं।
- नासिकेतोपाख्यान या चन्द्रावती ( 1803 ई.), रामचरित (1806 ई.), फूलन्ह के बिछाने, सोनम के थम्भ, चहुँदिसि, बरते थे, बाजने लगा, काँदती है (रोने के अर्थ में), गाँछों (वृक्ष के अर्थ में)
- अगले ही दिन अश्टमी को बीकानेर षहर के किकाणी व्यासों के चौक मे , लालाणी व्यासों के चौक मे सुनारों की गुवाड मे कई अन्य जगह पर थम्भ पूजन होता है व होलका प्रारम्भ होता है।
- पर जिस तुमसे पहले की पीढ़ी ने उन्हें जना क्या उन से , ओ बिचौलियो ! यह पूछा था वे क्या मरे घृणा में ? खंडहर होंगे ढूह घृणा के और घृणा के स्मारक होंगे नए तुम्हारे थम्भ , चौर , गुम्बद , मीनारें , पर वे जो मरे घृणा में नहीं , प्यार में मरे ! जिस मिट्टी को दाब रहे हैं ये स्मारक सदर्प , चप्पा-चप्पा उस का , कनी-कनी साक्षी है उस अनन्य एकान्त प्यार का जो कि घृणा से उपजे हर संकट को काट गया !