नन्दनन्दन का अर्थ
[ nendennedn ]
नन्दनन्दन उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- यदुवंशी वसुदेव के पुत्र जो विष्णु के मुख्य अवतारों में से एक हैं:"सूरदास कृष्ण के परम भक्त थे"
पर्याय: कृष्ण, श्याम, कन्हैया, कान्हा, किशन, श्रीकृष्ण, नंदलाल, नन्दलाल, केशव, गिरिधर, गोपाल, द्वारिकाधीश, बनवारी, ब्रजबिहारी, माधव, मुरारी, कालियमर्दन, वनमाली, अच्युत, मनमोहन, दामोदर, हरि, गरुड़गामी, वासुदेव, नरनारायण, पीतवास, अहिजित, कंसारि, कमलनयन, कुंजबिहारी, कृष्णचंद्र, गिरिधारी, गोपीश, गोपेश, गोविन्द, गोविंद, गोविन्दा, गोविंदा, घनश्याम, द्वारिकानाथ, द्वारकाधीश, द्वारकानाथ, नंदकिशोर, नन्दकिशोर, मुरलीवाला, मोहन, मुरली मोहन, योगीश, योगीश्वर, योगेश, योगेश्वर, राधारमण, वंशीधर, विपिन विहारी, वंशीधारी, बलबीर, शकटारि, बकवैरी, शतानंद, शतानन्द, मंजुकेशी, मधुसूदन, खरारि, खरारी, नंदकुमार, नन्दकुमार, नंदकुँवर, नन्दकुँवर, नंदनंदन, द्वारकेश, नटराज, मुरलीधर, विश्वपति, पूतनारि, पूतनासूदन, विट्ठलदेव, सोमेश्वर, वृषदर्भ, वृषनाशन, वृष्णि, वृष्णिक-गर्भ, वेदबाहु, तुंगीश, अरिकेशी, रासबिहारी, गिरधर, गिरधारी, मुकुंद, मुकुन्द, शकटहा, नवलकिशोर, कामपाल, वेदाध्यक्ष, शवकृत, गुपाल, सोमेश, यादवेंद्र, यवनारि, यादवेन्द्र, हृषीकेश, शिखंडी, शिखण्डी, अनंतजित्, अनन्तजित्, अनंत-जित्, अनन्त-जित्
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- मानसे मम घनान्धतामसे नन्दनन्दन कथे न लीयसे।।
- जिस दिन से देखा नन्दनन्दन को
- नन्दनन्दन कलेवा कर रहे हैं , प्रभु की मंगला आरती हो रही है।
- नन्दनन्दन प्रभु श्रीनाथजी अब घसियार पधारे और अपने दुर्गाकार मंदिर में बिराजमान हुए।
- राग केदार : ‘ कान्हा रे नन्दनन्दन ... ' : उस्ताद राशिद खाँ
- नन्दनन्दन कलेवा कर रहे हैं , प्रभु की मंगला आरती हो रही है।
- नन्दनन्दन प्रभु श्रीनाथजी अब घसियार पधारे और अपने दुर्गाकार मंदिर में बिराजमान हुए।
- इसी लिये उन वात्सल्यप्रेममयी गोपियों के घर मे हमारे नन्दनन्दन चोरी कर के माखन खाते थे .
- द्रुत तीनताल की इस रचना के बोल हैं , ‘ कान्हा रे नन्दनन्दन ... ' । आप राग केदार की इस भक्ति-रचना का रसास्वादन करें और मुझे इस अंक को यहीं विराम देने की अनुमति दीजिए।
- उत्तराखण्ड विद्यालयी षिक्षा विभाग में अपने प्रखर विचारों , सत्यनिष्ठ छवि और षैक्षिक सुधारों के लिए बहुचर्चित पूर्व निदेषक नन्दनन्दन पाण्डेय जी ने विभाग के धरातल को समझने-परखने के उद्देष्य से वर्ष 2007 में प्रदेष के केन्द्रीय विकास खण्ड गैरसैंण को स्वयं गोद लिया था और इन पंक्तियों के लेखक को अपना प्रतिनिधि बनाकर गैरसैंण में ष्षैक्षिक सुधारों का उत्तरदायित्व सौंपा था।