पिङ्गल का अर्थ
[ pineggal ]
पिङ्गल उदाहरण वाक्य
परिभाषा
विशेषणसंज्ञा- ताँबे और जस्ते के मेल से बनी हुई एक प्रसिद्ध धातु:"स्टील के आ जाने से अब पीतल के बर्तनों का प्रचलन नहीं रहा"
पर्याय: पीतल, पिंगल, पीतलोह, राजपत्नी, रेत्य, सुलोहक, आर - वर्षा और वसंत ऋतु में सुरीली ध्वनि में बोलने वाला एक पक्षी:"चातक स्वाति नक्षत्र की एक बूँद के लिए तरसते हैं"
पर्याय: चातक, पपीहा, कपिंजल, कपिञ्जल, कुक्कू, डाहुक, पिंगल, वारिद्र, हुडुक, पपैया, पिकांग, पिकाङ्ग, धाराट, दात्यूह, दिवौका, कपिञ्जल, वर्षप्रिय, नभनीरप, वृष्टिजीवन, नभोंबु, नभोम्बु, मुगूह, मेघजीवक, मेघजीवन, बहुक, वर्षाप्रिय, तेजल, तोतक, घनतोल, त्रिशंकु, त्रिशङ्कु - वह शास्त्र जिसमें छंद के बारे में जानकारी दी जाती हो:"वह छंदशास्त्र का अध्ययन कर रहा है"
पर्याय: छंदशास्त्र, पिंगल - भैरव राग का एक पुत्र :"पिंगल के गाने का समय सुबह है"
पर्याय: पिंगल, पिंगलराग, पिङ्गलराग - एक खनिज पदार्थ जो लगभग पीले रंग का होता है:"हरताल का उपयोग दवा के रूप में किया जाता है"
पर्याय: हरताल, हरतार, गोदंत, अल, आल, अलक, पिंजरक, पिञ्जरक, स्वर्णाभ, बिड़ालिका, वर्णक, कनकरस, श्रीप्रिय, नटभूषण, नटमंडन, नटमण्डन, नटमंडल, नटमण्डल, गौदंती, गौदन्ती, धातुविष, नटसंज्ञक, तालक, पिंगल
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- जनश्रुति के अनुसार पिङ्गल पाणिनि के अनुज थे।
- पिङ्गल भारत के प्रचीन गणितज्ञ और के रचयिता ।
- छन्दशास्त्र पिङ्गल द्वारा रचित छन्द का मूल ग्रन्थ है।
- पिङ्गल द्वारा रचित छन्दशास्त्र इस विषय का मूल ग्रन्थ है।
- पिङ्गल द्वारा रचित छन्दशास्त्र इस विषय का मूल ग्रन्थ है।
- पिङ्गल भारत के प्रचीन गणितज्ञ और छन्द : शास्त्र के रचयिता ।
- मेरु प्रस्तार का सबसे पहला वर्णन पिङ्गल के छन्दशास्त्र में है।
- उन्होने मृतसंजीवनी नामक ग्रन्थ की रचना की जो पिङ्गल के छन्दशास्त्र का भाष्य है।
- कारणों के भी परम कारण हैं , ( अग्निशिखा के समान) अति दिप्यमान उज्ज्वल एवं पिङ्गल नेत्रोंवाले हैं, सर्पों के हार-कुण्डल आदि से भूषित हैं तथा
- जैसे चतुर्थ भाव में शनि की पिङ्गल स्थिति के अशुभ प्रभाव के निवारण हेतु पीतल पट्टिका को जटामांसी एवं भृंगराज के प्रश्रुत रस से अभिषिक्त करने का विधान है .