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पुंडरीकाक्ष का अर्थ

[ punedrikaakes ]
पुंडरीकाक्ष उदाहरण वाक्य

परिभाषा

विशेषण
  1. जिसकी आँखे कमल के समान सुंदर हों:"राधा कमलनयन कृष्ण से प्रेम करती थी"
    पर्याय: कमलनयन, अर्विंदनयन, कमलनेत्र, पद्मनयन, पद्मलोचन, राजीवलोचन, पद्माक्ष
संज्ञा
  1. हिन्दुओं के एक प्रमुख देवता जो सृष्टि का पालन करने वाले माने जाते हैं:"राम और कृष्ण विष्णु के ही अवतार हैं"
    पर्याय: विष्णु, नारायण, सत्यनारायण, सत्य-नारायण, रमाकांत, रमाकान्त, रमापति, रमानाथ, कमलापति, लक्ष्मीपति, लक्ष्मीकांत, लक्ष्मीकान्त, कमलेश, केशव, माधव, मधुसूदन, वैकुंठनाथ, बैकुंठनाथ, रमारमण, रमाधव, अच्युत, चक्रधर, चक्रपाणि, जगदीश, जगदीश्वर, जनार्दन, त्रिलोकीनाथ, त्रिविक्रम, रमानिवास, रमेश, विश्वंभर, विश्वम्भर, श्रीनिवास, हरि, अंबरीष, इंदिरा रमण, श्रीरमण, असुरारि, अनीश, अन्नाद, गरुड़गामी, गरुड़ध्वज, वंश, महेंद्र, महेन्द्र, वासु, श्रीश, अब्धिशय, डाकोर, सहस्रजित्, सहस्रचरण, सहस्रचित्त, शारंगपाणि, शारंगपानि, अक्षर, अब्धिशयन, कमलनयन, कमलनाभि, कमलेश्वर, कैटभारि, खगासन, गजाधर, चक्रेश्वर, जनेश्वर, त्रिलोकेश, दामोदर, देवेश्वर, महाभाग, सुरेश, वारुणीश, व्यंकटेश्वर, शेषशायी, श्रीकांत, श्रीकान्त, श्रीनाथ, श्रीपति, अम्बरीष, सर्वेश्वर, सारंगपाणि, हृषिकेश, हृषीकेश, हिरण्यकेश, वसुधाधर, बाणारि, हिरण्यगर्भ, वीरबाहु, कमलनाभ, पद्मनाभ, पद्म-नाभ, स्वर्णबिंदु, स्वर्णबिन्दु, अमरप्रभु, शतानंद, शतानन्द, धंवी, धन्वी, महाक्ष, महानारायण, महागर्भ, सुप्रसाद, खरारि, खरारी, विश्वधर, विश्वनाभ, विश्वप्रबोध, विश्वबाहु, विश्वगर्भ, विश्वकाय, धातृ, धाम, विधु, रत्ननाभ, जगन्, विभु, दम, सर्व, फणितल्पग, शिखंडी, शिखण्डी, वर्द्धमान, वर्धमान, कुंडली, कुण्डली, जगद्योनि, शुद्धोदनि, देवाधिदेव, चिरंजीव, अमृतवपु, अरविंद नयन, अरविन्द नयन, अरुणज्योति, अरुण-ज्योति

उदाहरण वाक्य

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  1. पुंडरीकाक्ष का स्मरण मान स्नान जो है -
  2. हे पुंडरीकाक्ष ! हे विश्वभावन! हे सुब्रह्मण्य!
  3. वेद व्यास पुंडरीकाक्ष महाराज ने कहा कि माता पिता की सेवा करनी चाहिए।
  4. हे पुंडरीकाक्ष ! हे विश्वभावन ! हे सुब्रह्मण्य ! हे पूर्वज ! हे जगत्पते ! आपको नमस्कार है .
  5. पंडितजी नदी में स्नान करते हुए श्लोक पढ़ रहे थे- पपोअहं पापकर्माअहं पापाअत्मा पापसंभवः त्राहि मां पुंडरीकाक्ष सर्वपापहरो हरिः तब तक खट्टर काका भी नहाने के लिए पहुँच गये।
  6. ऐसा क्यों नहीं कहते कि- पुण्योअहं पुण्यकर्माअहं पुण्याअत्मा पुण्यसंभवः प्रसाद पुंडरीकाक्ष सर्वपुण्यमयो हरिः आप भगवान् के आगे अपने को पापी भी घोषित करते हैं और रक्षा भी चाहते हैं।
  7. हे पुंडरीकाक्ष ! मैं आपकी शरण हूँ, आप मेरी रक्षा कीजिए, इस प्रकार नियमपूर्वक शालिग्राम की मूर्ति के आगे विधिपूर्वक श्राद्ध करके योग्य ब्राह्मणों को फलाहार का भोजन कराएँ और दक्षिणा दें।
  8. हे अच्युत ! हे पुंडरीकाक्ष! मैं आपकी शरण हूँ, आप मेरी रक्षा कीजिए, इस प्रकार नियमपूर्वक शालिग्राम की मूर्ति के आगे विधिपूर्वक श्राद्ध करके योग्य ब्राह्मणों को फलाहार का भोजन कराएँ और दक्षिणा दें।
  9. हे अच्युत ! हे पुंडरीकाक्ष! मैं आपकी शरण हूँ, आप मेरी रक्षा कीजिए, इस प्रकार नियमपूर्वक शालिग्राम की मूर्ति के आगे विधिपूर्वक श्राद्ध करके योग्य ब्राह्मणों को फलाहार का भोजन कराएँ और दक्षिणा दें।
  10. हे अच्युत ! हे पुंडरीकाक्ष ! मैं आपकी शरण हूँ , आप मेरी रक्षा कीजिए , इस प्रकार नियमपूर्वक शालिग्राम की मूर्ति के आगे विधिपूर्वक श्राद्ध करके योग्य ब्राह्मणों को फलाहार का भोजन कराएँ और दक्षिणा दें।


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