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बृहदारण्यकोपनिषद् का अर्थ

[ berihedaarenyekopenised ]
बृहदारण्यकोपनिषद् उदाहरण वाक्य

परिभाषा

संज्ञा
  1. मुख्य उपनिषदों में से एक :"बृहदारण्यक उपनिषद् यजुर्वेद और शतपथ ब्राह्मण से संबंधित है"
    पर्याय: बृहदारण्यक उपनिषद्, बृहदारण्यक उपनिषद, बृहदारण्यक, बृहदारण्यकोपनिषद

उदाहरण वाक्य

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  1. बृहदारण्यकोपनिषद् ऐसी दो ब्रह्मवादिनी नारियों की
  2. बृहदारण्यकोपनिषद् [ 55] में मनुष्यों, पितरों एवं देवों के तीन लोक पृथक-पृथक वर्णित हैं।
  3. बृहदारण्यकोपनिषद् में ( 2, 1, 1; 3, 8, 2) काशिराज अजातशत्रु का भी उल्लेख है।
  4. बृहदारण्यकोपनिषद् ऐसी दो ब्रह्मवादिनी नारियों की विद्वता का परिचय बड़े विशद् शब्दों में देता है।
  5. बृहदारण्यकोपनिषद् [ 59 ] में मनुष्यों , पितरों एवं देवों के तीन लोक पृथक-पृथक वर्णित हैं।
  6. बृहदारण्यकोपनिषद् में याज्ञवल्क्य ऋषि अपनी पत्नी मैत्रेयी से कहते हैं , ‘ आत्मनस्तु कामाय सर्वं प्रियं भवति।
  7. शतपथब्राह्मण के चतुर्दशकांड ( बृहदारण्यकोपनिषद् में) पुरुष के दस प्राण और ग्यारहवाँ आत्मा एकादश आध्यात्मिक रुद्र बताए गए हैं।
  8. थोड़े से अन्तर के साथ बृहदारण्यकोपनिषद् की दो आवृत्तियाँ क्रमशः यजुर्वेद की माध्यन्दिन शाखा और काण्व शाखा में मिलती हैं।
  9. शतपथब्राह्मण के चतुर्दशकांड ( बृहदारण्यकोपनिषद् में ) पुरुष के दस प्राण और ग्यारहवाँ आत्मा एकादश आध्यात्मिक रुद्र बताए गए हैं।
  10. बृहदारण्यकोपनिषद् तथा महाभारत में कहा गया है कि “इतिहास पुराणाभ्यां वेदार्थ मुपर्बंहयेत्” अर्थात् वेद का अर्थविस्तार पुराण के द्वारा करना चाहिये।


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  1. बृहदांत्र
  2. बृहदारण्यक
  3. बृहदारण्यक उपनिषद
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