ब्रह्मयोग का अर्थ
[ berhemyoga ]
ब्रह्मयोग उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- अट्ठारह मात्राओं का एक ताल:"ब्रह्मयोग में बारह आघात और छह खाली होते हैं"
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- ब्रह्मयोग सुख सिद्धि तथा किस्तुघ्न करण जलवायु की दृष्टि से उत्तम है।
- यह ब्रह्मयोग लोगों के बीच में ज्ञान , अध्यात्म और सांख्य योग नाम से प्रसिद्ध हुआ।
- ज्ञान योग में सवसमर्पण् ? ( भगवद्भक्ति ) का संयोग कर देना ही ब्रह्मयोग है।
- ब्रह्मयोग की परम्परा सनक , सनन्दन, सनातन, कपिल, आसुरि, वोढु और पच्चंशिख नारद-शुकादिकों ने शुरू की थी।
- ' विष्णु पुराण' के अन्तिम तीन अध्यायों में आध्यात्मिक चर्चा करते हुए त्रिविध ताप, परमार्थ और ब्रह्मयोग का ज्ञान कराया गया है।
- यह ध्यान रखें कि पंडितजन , ज्ञानी , विवेकवान व्यक्ति अनित्य दुःखों के हेतु , विषयभोगों के चक्कर में न पड़कर ब्रह्मयोग मुक्तात्मा ही बनते हैं एवं ब्रह्मानंद की प्राप्ति करते हैं।
- १ ३३ . ७ ६ ( त्रिपुर दहन हेतु शर द्वारा बाण को सत्य , ब्रह्मयोग तथा तप नामक तीन वीर्यों से सन्धान करने का कथन ) , महाभारत आदि ६ १ .
- १ ३३ . ७ ६ ( त्रिपुर दहन हेतु शर द्वारा बाण को सत्य , ब्रह्मयोग तथा तप नामक तीन वीर्यों से सन्धान करने का कथन ) , महाभारत आदि ६ १ .
- राजयोग , कर्मयोग ,हठयोग , लययोग , सांख्ययोग , ब्रह्मयोग , ज्ञानयोग , भक्ति योग ,ध्यान योग , क्रिया योग ,विवेक योग , विभूति योग व प्रकृति पुरुष योग ,मंत्र योग , पुरुषोत्तम योग , मोक्ष योग , राजाधिराजयोग आदि।
- राजयोग , कर्मयोग ,हठयोग , लययोग , सांख्ययोग , ब्रह्मयोग , ज्ञानयोग , भक्ति योग ,ध्यान योग , क्रिया योग ,विवेक योग , विभूति योग व प्रकृति पुरुष योग ,मंत्र योग , पुरुषोत्तम योग , मोक्ष योग , राजाधिराजयोग आदि।