वृषाकपि का अर्थ
[ verisaakepi ]
वृषाकपि उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- एक देवता जो स्वर्ग तथा देवताओं के अधिपति माने जाते हैं:"वेदों में इंद्र की आराधना का उल्लेख है"
पर्याय: इंद्र, इन्द्र, इंद्रदेव, इन्द्रदेव, सुरपति, सुरेश, देवेंद्र, देवेन्द्र, अप्सरेश, अमराधिप, अलकेश, आदित्य, इंद, इन्द, इंदु, इन्दु, इंदर, इन्दर, जंभारि, पुरंदर, वज्रधर, अचलधृष, दिवराज, दिव-राज, अदित, अनंतदृष्टि, अनन्तदृष्टि, अनेकलोचन, पाकहंता, पाकहन्ता, पाकशासन, पाकारि, सुरेन्द्र, युयुधान, सहस्रचक्षु, सहस्रनेत्र, वृत्रहा, वृत्रनाशन, पुरन्दर, सुरभानु, सुरेंद्र, सुरकेतु, वरेंद्र, वरेन्द्र, महेंद्र, महेन्द्र, विजयंत, वृत्रारि, पौलोम, दानवारि, देवराज, शचींद्र, शचीन्द्र, शंबरारि, शम्बरारि, बिड़ौजा, सुरनाथ, सुरनायक, सुरनाह, दिवक्ष, स्वर्पति, अमरराज, अमर-राज, अमरनाथ, अमरपति, अमरप्रभु, अमरवर, अमरेश, अमरेश्वर, विश्वभुज, वलसूदन, वलहंता, वलहन्ता, श्वेतवह, श्वेतवाह, पूतक्रतु, विवुधेश, देवेश, वृत्रवैरी, वृषण, वृष्णि, वेत्रहा, शक्र, शाक्वर, त्रिदशपति, त्रिदशाधिप, त्रिदिवाधीश, त्रिदशेश्वर, शिखी, दैत्यारि, दैत्यदानवमर्दन, मेघपति, तुरासाह, वलहिष, दौल्मि, द्युपति, यामनेमि, अरब, मदनपति, खदिर, मघवान, रंभापति, रम्भापति, पचत, पविधर, अर्, अर्वण - हिन्दू धर्मग्रंथों में वर्णित एक देवता जो आग के अधिपति माने जाते हैं:"स्वाहा अग्निदेव की पत्नी हैं"
पर्याय: अग्निदेव, अग्नि, अनिलसखा, शांडिल्य, शाण्डिल्य, पिंगेश, वसुविद, वसुप्राण, धरुण, सोमगोपा, वृष्णि, शिखि, शिखी, द्यु, जंभारि, बसंदर, चित्रभानु, परिजन्मा, पचत, वसुनीथ, मित्रविंद, मित्रविन्द - हिन्दू धर्मग्रंथों में वर्णित एक देवता:"वेदों में भी सूर्यदेव की पूजा का विधान है"
पर्याय: सूर्यदेव, सूर्य, सूर्य देव, सूर्य देवता, भानु, भास्कर, आदित्य, मिहिर, अंशुमान, अंशुमाली, खगपति, अर्क, सहस्रकिरण, यमसू, मरीची, दिवसेश, दिवसेश्वर, दिवस्पति, दिवसकर, दिवसकृत, दिवसनाथ, दिवसभर्ता, दिवावसु, अविनीश, दिवामणि, दिवसमणि, दीप्तकिरण, सहस्रगु, भूताक्ष, गविष्ठ, जगत्साक्षी, वेदवादन, त्रयीतन, त्रयीमय, नभस्मय, नभश्चक्षु, चक्रबंधु, चक्रबन्धु, चक्रबांधव, चक्रबान्धव, तीक्ष्णांशु, तीक्ष्णरश्मि, पद्मगर्भ, त्विषामीश, तुंगीश, द्युपति, द्युम्न, तरणि, अरविन्दबन्धु, दिव्यांशु, अरविंदबंधु, अर्यमा, अर्य्यमा, अर्जमा, अर्णव, कालेश, मार्तंड, मार्तण्ड, चित्रभानु, गोकर, केश, वेदोदय, वेध, वेधा, वेदात्मा, प्रजादार, प्रजाध्यक्ष, सावित्र, द्यु-पति, द्यु-मणि, अह, अहस्पति, आदिदेव, दिनकर, भट्टारक, दिनमणि, दनमणि, कुवम, दुड़ियंद, अधिरथी, पचत, हेममाली, हेमकर, वरेय, गभस्ति, गभस्तिपाणि, गभस्तिहस्त, ज्वालमाली
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- ‘ वृषाकपि ' शब्द निघण्टु में भी मिलता है।
- वृषाकपि सूक्त -ऋग्वेद १ ० / ४ ६ ...
- वृषाकपि एवं पृथ्वी व सूर्य . ...
- दैत्य महाशनि के संहार हेतु ही ' अब्जक वृषाकपि' का अवतरण हुआ।
- गणपति ( गणेश ) विष्णु का नृसिंह रूप तथा हनुमान इसी वृषाकपि के आधुनिक प्रतिनिधि हैं।
- देवराज इन्द्र की इच्छानुसार ही अब्जक वृषाकपि ने रसातल में जाकर दैत्य महाशनि का वध किया।
- - यह शायद ऋग्वेद के किसी विशेष घटना-सूत्र की अप्राप्य कड़ी लगती है | वृषाकपि - विष्णु के किसी . .
- अब्जक वृषाकपि का जन्म इन्द्र और इन्द्रणी की अराधना के फलस्वरूप भगवान विष्णु और शिव के मिले-जुले अंश से हुआ था।
- सोम से प्रवृद्ध होकर इस यज्ञ में वृषाकपि ऐसे सखा होकर सोमपान कर हृष्ट-पुष्ट हुए , तो भी मैं इन्द्र सर्वश्रेष्ठ हूं।
- इन्द्राणी : ” हे इन्द्र तुम अत्यन्त गमनशील होकर वृषाकपि के पास जाते हो , तुम सोमपान के लिए नहीं जाते-इन्द्र सर्वश्रेष्ठ है।