वैदिकधर्म का अर्थ
[ vaidikedherm ]
वैदिकधर्म उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- आर्यों का वह धर्म जो वेदों के युग में प्रचलित था या ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद में बतलाया हुआ या इनके अनुसार विहित धर्म जिसमें प्रकृति की उपासना, पितरों का पूजन, यज्ञकर्म, तपस्या आदि बातें मुख्य थीं:"वैदिक धर्म को विश्व के सबसे पुराने धर्मों में से एक माना जाता है"
पर्याय: वैदिक धर्म, वैदिक-धर्म, त्रयीधर्म, त्रयी-धर्म, त्रयी धर्म
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- समस्त प्रजा वैदिकधर्म और शास्त्रोक्त कर्म में संलग्न थी।
- ( वैदिकधर्म ईशाज्ञाधर्म और इस्लाम धर्म ईशाज्ञा-पालन धर्म में चीनी और उनकी मिठास का सम्बंध है।
- ( वैदिकधर्म ईशाज्ञाधर्म और इस्लाम धर्म ईशाज्ञा-पालन धर्म में चीनी और उनकी मिठास का सम्बंध है।
- अतएव जन्मांतरवाद औरकर्मफलवाद में उनका पूरा विश्वास था और इस मामले में उनका दर्शन वही था , जो वैदिकधर्म वालों का रहा है.
- उस समय समाज के एक बहुत बड़े वर्ग को वैदिकधर्म ने पशुओं से बदत्तर जीवन जीने को मजबूर किया , उनको वैदिक धार्मिक कर्मकाण्डों-यज्ञ-पशुबलि-अंधविश्वासों-जादूटोनों-तंत्रमंत्र-झाड़फूंक-आत्मा-परमात्मा आदि से मुक्त कराया .
- आर्य मुनि ने इस यक्ष पशन के समाधान के लिए एक और ढंग अपनाया , उन् होंने जहां ' अहं ' पद देख वहां उस का अर्थ ' ईश् वर ' कर दिया और जहां मा शब् द मिला , वहां उसका अर्थ वैदिकधर्म कर दिया ( देखें प.
- ) वैदिकधर्म के पतन ( शायद महाभारत युद्ध के प्रभाव ) व बौद्ध व जैन प्रभाव के कारण एवं न्रित्य व कला को एक विशेषग्यता के रूप में प्रतिष्ठित करने के कारण , मन्दिरों में कलासंस्थान ( शिक्षालय ) बने जो बाद मेंअव्यवस्था , भ्रष्ट आचरण , अग्यान , और गरीबी के कारण शोषण का फ़िर देह शॊषण का केन्द्र बन गये ...
- स्थापित किया गया हो | धर्म तो इश्वर प्रदत्त है जिसकी जानकारी हमें अपने गुरुजनों द्वारा प्राप्त होती है और वह है सत्य सनातन वैदिकधर्म ! धर्म तो उन मान्यताओं को आचरण में धारने का नाम है जो महर्षि मनु द्वारा बताये गए धर्म के दस लक्षणों के नामसे जाने जाते हैं - धृति क्षमा दमोस्तेय शौचं इन्द्रिय निग्रह धीर्विद्या सत्यमअक्रोधः दशकं धर्मः लक्षणं