शंकुकर्ण का अर्थ
[ shenkukern ]
शंकुकर्ण उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञाउदाहरण वाक्य
- उस नगर में शंकुकर्ण नामक एक ब्राह्मण रहता था।
- तब शंकुकर्ण ने अपने सर्पशरीर को त्यागकर दिव्य देह धारण किया और सारा धन पुत्रों के अधीन कर दिया।
- ऊंटनी का मांस तो उस सिंह तथा उसके परिवार ने वहीं पर खाकर अपनी भूख मिटा ली किन्तु उस शिशु को लेकर वह अपने घर आ गया और फिर उससे बोला , ' बेटे ! तुम मेरे पुत्र के समान हो | यहां तुम्हें किसी से भय नहीं है , तुम निर्व्दन्द होकर यहां विचरण करो | तुम्हारा नाम मैं शंकुकर्ण रखता हूँ अब तुम इसी नाम से पुकारे जाओगे | '
- भगवान शिव कहते हैं : - हे पार्वती ! अब मैं सातवें अध्याय का माहात्म्य बतलाता हूँ , जिसे सुनकर कानों में अमृत भर जाता है , पाटलिपुत्र नामक एक दुर्गम नगर है जिसका द्वार बहुत ही ऊँचा है , उस नगर में शंकुकर्ण नामक एक ब्राह्मण रहता था , उसने वैश्य वृत्ति का आश्रय लेकर बहुत धन कमाया किन्तु न तो कभी पितरों का तर्पण करता था और न ही देवताओं का पूजन करता था , वह धन के लालच से धनी लोगों को ही भोज दिया करता था।