सांख्य-दर्शन का अर्थ
[ saanekhey-dershen ]
सांख्य-दर्शन उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- महर्षि कपिल कृत एक प्रसिद्ध दर्शन :"सांख्य में प्रकृति तथा चेतन पुरुष ही जगत का मूल माना गया है"
पर्याय: सांख्य, सांख्यशास्त्र, सांख्यदर्शन, सांख्य शास्त्र, सांख्य दर्शन, सांख्य-शास्त्र
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- परन्तुवर्तमान सांख्य-दर्शन में इसके विपरीत प्रमाण मिलते हैं .
- कुछ नये-पुरानेसूत्रमिलाकर संपूर्ण वर्तमान सांख्य-दर्शन तैयार कर दिया हो .
- में वाममार्ग और सांख्य-दर्शन में विपरीत रीति की झाँकियाँ मिलती हैं।
- उनके मस्तिष्क में विरोध-विकासवाद का विचार भारतीय सांख्य-दर्शन से आया , यह एक स्वीकृत तथ्य है।
- सांख्य-दर्शन में प्रमाणों के केवल ३ प्रकार उल्लेखित हैं इसका अर्थ यह बिलकुल नहीं है कि ये आर्य ग्रन्थ विरोधी हैं .
- आचार्य भट्टनायक ने सांख्य-दर्शन के आधार पर रसानुभूति के जिस मार्ग को प्रतिपादित किया उसे भारतीय कावय्शास्त्र में भुक्तिवाद कहा गया।
- २ ) सांख्य-दर्शन की धारणा है कि व्यक्ति (जीव) स्वयं कुछ भी नहीं करता, जो कुछ भी करती है -प्रकृति करती है।
- सांख्य-दर्शन में प्रमाणों के केवल ३ प्रकार उल्लेखित हैं इसका अर्थ यह बिलकुल नहीं है कि ये आर्य ग्रन्थ विरोधी हैं .
- हर हालत में गौड़-पाद स्वामी ने भी इस दर्शन को नहीं देखा . २-- यहबात सभी विद्वान् मानते हैं कि सांख्य-दर्शन सर्व-प्रचीन दर्शन है.
- महाभारत के शांति पर्व के अन्तर्गत सांख्य दर्शन के कुछ प्रसंगों पर विचार करने के उपरान्त हम उसमें प्रस्तुत सांख्य-दर्शन की स्पष्ट रूपरेखा प्रस्तुत करेंगे।