सूथनी का अर्थ
[ sutheni ]
सूथनी उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- एक प्रकार का स्त्रियों का ढीला पायजामा:"शहनाज़ सूथन पहनना पसंद करती है"
पर्याय: सूथन, सुथनी, सुथनिया, सुथन्ना, सुथना, इजार, इज़ार - एक प्रकार का मीठा कंद:"रतालू खाया जाता है"
पर्याय: रतालू, पिंडालू, पिण्डालू, पिंडालु, पिण्डालु, पिंडालुक, पिण्डालुक, मधुमूल, रक्तकंद, रक्तकन्द, रक्तपिंडक, रक्तपिण्डक, रक्तपिंडालु, रक्तपिण्डालु, शौकरी, सूकरी, विष्णु-कांता, विष्णु-कान्ता, रक्तसार, सुथनी - एक प्रकार का कंद:"पिंडालू पर कड़े-कड़े सूत होते हैं"
पर्याय: पिंडालू, पिण्डालू, पिंडालु, पिण्डालु, पिंडालुक, पिण्डालुक, सुथनी, पिंडिया, नानाकंद, नानाकन्द, रक्तपत्र - एक प्रकार के कंद का पौधा:"पिंडालू पर कीड़े लग गए हैं"
पर्याय: पिंडालू, पिण्डालू, पिंडालु, पिण्डालु, पिंडालुक, पिण्डालुक, सुथनी, पिंडिया, नानाकंद, नानाकन्द, रक्तपत्र - रतालू का पौधा :"इस खेत में का रतालू पीला पड़ रहा है"
पर्याय: रतालू, पिंडालू, पिण्डालू, पिंडालु, पिण्डालु, पिंडालुक, पिण्डालुक, मधुमूल, रक्तकंद, रक्तकन्द, रक्तपिंडक, रक्तपिण्डक, रक्तपिंडालु, रक्तपिण्डालु, शौकरी, सूकरी, विष्णु-कांता, विष्णु-कान्ता, रक्तसार, सुथनी
उदाहरण वाक्य
- अर्घ् य देने के लिए सिरकी के सूप या बाँस की डलिया में पकवान , मिठाइयाँ , मौसमी फल , कच् ची हल् दी , सिंघाड़ा , सूथनी , गन् ना , नारियल इत् यादि रखकर सूर्यदेव को अर्पित किया जाता है- ऊँ ह्रीं षष् ठी देव् यै स् वाहा।
- अर्घ् य देने के लिए सिरकी के सूप या बाँस की डलिया में पकवान , मिठाइयाँ , मौसमी फल , कच् ची हल् दी , सिंघाड़ा , सूथनी , गन् ना , नारियल इत् यादि रखकर सूर्यदेव को अर्पित किया जाता है- ऊँ ह्रीं षष् ठी देव् यै स् वाहा।
- अघ्र्य देने के लिए सिरकी के सूप या बाँस की डलिया में पकवान , मिठाइयाँ, मौसमी फल, कच्ची हल्दी, सिंघाड़ा, सूथनी, गन्ना, नारियल इत्यादि रखकर सूर्यदेव को अर्पित किया जाता है और मन्नतें माँंगी जाती हैं- बांस की बहंगिया लिये चले बलका बसवंा लचकत जाय/तोहरे शरणियां हे मोर बलकवा/हे दीनानाथ मोरे ललवा के द लंबी उमरिया।
- अघ्र्य देने के लिए सिरकी के सूप या बाँस की डलिया में पकवान , मिठाइयाँ , मौसमी फल , कच्ची हल्दी , सिंघाड़ा , सूथनी , गन्ना , नारियल इत्यादि रखकर सूर्यदेव को अर्पित किया जाता है और मन्नतें माँंगी जाती हैं- बांस की बहंगिया लिये चले बलका बसवंा लचकत जाय / तोहरे शरणियां हे मोर बलकवा / हे दीनानाथ मोरे ललवा के द लंबी उमरिया।
- अघ्र्य देने के लिए सिरकी के सूप या बाँस की डलिया में पकवान , मिठाइयाँ , मौसमी फल , कच्ची हल्दी , सिंघाड़ा , सूथनी , गन्ना , नारियल इत्यादि रखकर सूर्यदेव को अर्पित किया जाता है और मन्नतें माँंगी जाती हैं- बांस की बहंगिया लिये चले बलका बसवंा लचकत जाय / तोहरे शरणियां हे मोर बलकवा / हे दीनानाथ मोरे ललवा के द लंबी उमरिया।