हाथीपाँव का अर्थ
[ haathipaanev ]
हाथीपाँव उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञाउदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- चरक-संहिता के अनुसार सरसों , हाथीपाँव एवं मिरगी रोग
- चरक-संहिता के अनुसार सरसों , हाथीपाँव एवं मिरगी रोग
- श्लीपद या फीलपाँव या ' हाथीपाँव' (
- श्लीपद या फीलपाँव या ' हाथीपाँव' (
- हाथ , हाथी और हाथीपाँव दिग्विजय जी, जय माता जी की ।
- पांडु ( रक्ताल्पता), बवासीर, भगंदर, हाथीपाँव, खाँसी तथा जोड़ों के दर्द में विशेष लाभदायी है।
- चरक-संहिता के अनुसार सरसों , हाथीपाँव एवं मिरगी रोग में प्रयोग की जानी चाहिए।
- चरक-संहिता के अनुसार सरसों , हाथीपाँव एवं मिरगी रोग में प्रयोग की जानी चाहिए।
- ** हाथीपाँव में हर्रे का ४ ग्राम पाउडर गो मूत्र मिलाकर पी जाये . एक महीने तक लगातार।
- पांडु ( रक्ताल्पता), जलोदर, बवासीर, भगंदर, हाथीपाँव, खाँसी, तथा लीवर के रोग व जोड़ों के दर्द में विशेष लाभदायी है।