अस्पृष्ट का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- पतञ्जलि ने ईश्वर का लक्षण बताया है- “क्लेशकर्मविपाकाराशयैरपरामृष्टः पुरुषविशेषः ईश्वरः” अर्थात् क्लेश , कर्म, विपाक(कर्मफल) और आशय(कर्म-संस्कार) से सर्वथा अस्पृष्ट पुरुष-विशेष ईश्वर है.
- पाणिनी ने स्वरों को अस्पृष्ट , य,र,ल,व को ईष स्पृष्ट, श, ष,स, ह को अर्द्धü स्पृष्ट तथा शेष वर्णो को पूर्ण स्पृष्ट माना है।
- यहां हर एक जाति की अपनी अलग संस्कृति है , और कई बार आमने सामने मिलने पर भी वे एक-दूसरी से काफी हद तक अस्पृष्ट रह सकी हैं!
- पतञ्जलि ने ईश्वर का लक्षण बताया है- “ क्लेशकर्मविपाकाराशयैरपरामृष्टः पुरुषविशेषः ईश्वरः ” अर्थात् क्लेश , कर्म , विपाक ( कर्मफल ) और आशय ( कर्म-संस्कार ) से सर्वथा अस्पृष्ट पुरुष-विशेष ईश्वर है।
- पाणिनी ने स्वरों को अस्पृष्ट , य , र , ल , व को ईष स्पृष्ट , श , ष , स , ह को अर्द्धü स्पृष्ट तथा शेष वर्णो को पूर्ण स्पृष्ट माना है।
- कितनी अज़ीब बात है कि जिन स्मृतियों को हम सुरक्षित सहेज कर रखते हैं वह सचमुच याद करने से नहीं लौटतीं , और लौटती भी हैं तो इतनी अस्पृष्ट और धुँधली हो कर, अपरिचित और परायी सी लगती हैं.
- मत्र्य जगत् में मानव-अस्तित्व की समस्या , वर्तमान समाज की विरूपता / विद्रूपता व मानवीय सम्बन्धों के बदलते स्वरूप मुझे भी चिन्तित करते हैं , किन्तु मेरी अभिव्यक्ति अन्य कवियों से भिन्न है व किसी विचारधारात्मक प्रभाव से अस्पृष्ट है।
- कितनी अज़ीब बात है कि जिन स्मृतियों को हम सुरक्षित सहेज कर रखते हैं वह सचमुच याद करने से नहीं लौटतीं , और लौटती भी हैं तो इतनी अस्पृष्ट और धुँधली हो कर , अपरिचित और परायी सी लगती हैं .
- इस लड़की ने अपने धर्म के प्रति अपनी आस्था को जताते हुये यह स्पष्ट किया कि इस धर्म में शरीर की पवित्रता का अति महत्व है , और इसीलिये इसमें शरीर के संबंधित विभिन्न अवयवों को अस्पृष्ट रखने का विधान है।
- जो कली खिलेगी जहाँ , खिली , जो फूल जहाँ है , जो भी सुख जिस भी डाली पर हुआ पल्लवित , पुलकित , मैं उसे वहीं पर अक्षत , अनाघ्रात , अस्पृष्ट , अनाविल , हे महाबुद्ध ! अर्पित करती हूँ तुझे।