ईशावास्योपनिषद का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- ( ईशावास्योपनिषद मे विद्या और अविद्या के साथ-साथ सम्भूति एवं असम्भूति पर काफी विस्तृत चर्चा की जा सकती है।
- उमा शंकर जोशी द्वारा लिखी ईशावास्योपनिषद की व्याख्याओं को पढ़ते हुए गांधी आश्चर्यजनक रूप से याद आने लगते हैं।
- ईशावास्योपनिषद की इस घोषणा को लेकर कामायनी के इस कथन-सत्य ! आह ! यह एक शब्द ! तू कितना बड़ा हुआ है !
- गांधी के विचारों का उत्स यजुर्वेद के चालीसवें अध्याय ईशावास्योपनिषद से होता हुआ अपने विकास और विस्तार में दिखाई देती गीता के दर्शन का ही पुनर्पाठ है।
- यह ऐतिहासिक उपन्यास ईशावास्योपनिषद की उस घोषणा को दोहराता है कि अध्यात्म की उपेक्षा कर केवल संसार की पूजा कर कोई देश अथवा समाज प्रसन्न नहीं रह सकता;
- यह ऐतिहासिक उपन्यास ईशावास्योपनिषद की उस घोषणा को दोहराता है कि अध्यात्म की उपेक्षा कर केवल संसार की पूजा कर कोई देश अथवा समाज प्रसन्न नहीं रह सकता;
- ईशावास्योपनिषद की इस घोषणा को लेकर कामायनी के इस कथन-सत्य ! आह ! यह एक शब्द ! तू कितना बड़ा हुआ है !/मेधा के क्रीड़ा-पंजर का पाला हुआ सुवा है।
- अगर बात समानता का भी हो तो हम तो उस ईशावास्योपनिषद की संताने हैं जो कहता है कि ' इशावास्यमिदं सर्वं यत्किंच्य जगतां जगत' यानी ईश्वर इस जगत के कण-कण में विद्यमान हैं.
- चूंकि ईशावास्योपनिषद के इस वचन को हमने हजारो बार सुना और पढ़ा हैं … हमे ऐसा लगता है कि इसमे कुछ खास है ही नहीं , ये तो जगतविदित बात है … ..
- अगर बात समानता का भी हो तो हम तो उस ईशावास्योपनिषद की संताने हैं जो कहता है कि ‘ इशावास्यमिदं सर्वं यत्किंच्य जगतां जगत ' यानी ईश्वर इस जगत के कण-कण में विद्यमान हैं .