काकभुशुंडि का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- काकभुशुंडि ( सं . ) [ सं-पु . ] ( रामायण ) एक राम भक्त जो लोमश ऋषि के शाप से कौआ हो गए थे।
- वे भी साधना के अहंकार और मोह में फँसकर मुनि से वानर बन गए - विरूप हो गए , इसलिए तुलसी काकभुशुंडि के माध्यम से मानस रोग और उसके निदान का बखान करते हैं।
- काकभुशुंडि के उपर्युक्त कलयुग वर्णन में सबसे ज्यादा क्षोभ इसी व्यतिक्रम के प्रति प्रकट किया गया है कि अधर्मवर्ण वाले लोग धर्मचर्चा करने लगे हैं और श्रुतिसम्मत मार्ग छोड़ पंथ कल्पित करने लगे हैं।
- काकभुशुंडि के उपर्युक्त कलयुग वर्णन में सबसे ज्यादा क्षोभ इसी व्यतिक्रम के प्रति प्रकट किया गया है कि अधर्मवर्ण वाले लोग धर्मचर्चा करने लगे हैं और श्रुतिसम्मत मार्ग छोड़ पंथ कल्पित करने लगे हैं।
- इनमें से कुछ रामकथा सुन कर अभिमान के पाप से मुक्त होते हैं , इसलिए रामचरितमानस में शिव अपनी पत्नी पार्वती को , काकभुशुंडि गरुड़ को , और बाबा तुलसीदास अपने पाठकों को रामकथा सुना रहे हैं।
- इनमें से कुछ रामकथा सुन कर अभिमान के पाप से मुक्त होते हैं , इसलिए रामचरितमानस में शिव अपनी पत्नी पार्वती को , काकभुशुंडि गरुड़ को , और बाबा तुलसीदास अपने पाठकों को रामकथा सुना रहे हैं।
- रामचरितमानस में कथा की तीन विभिन्न पीठों पर सती , भरद्वाज और काकभुशुंडि ने राम के भगवान होने पर गहरे संदेह उठाए हैं , किन्तु भगवान पर शक करने को ईश - निंदा नहीं माना गया है।
- मानस के कलियुग वर्णन में काकभुशुंडि कहते हैं कि जो लोग सतमारग पर चलने वालों को सत्पथ से विरत करने के लिए तर्क कर करके वेदों को अस्वीकार करते हैं , वे एक-एक कल्प तक एक-एक नरक में रहेंगे।
- मानस के कलियुग वर्णन में काकभुशुंडि कहते हैं कि जो लोग सतमारग पर चलने वालों को सत्पथ से विरत करने के लिए तर्क कर करके वेदों को अस्वीकार करते हैं , वे एक-एक कल्प तक एक-एक नरक में रहेंगे।
- 17 August , 2009 बाबू पुराण - अमृतलाल नागर ( हास्य-व्यंग्य ) परम सुहावन महा-फलदायक इस बाबू को पढ़ते-सुनते आज के युग में कोई सूत , शौनक , काकभुशुंडि या लोहमर्षक यदि यह पूछ बैठे कि अद्भुत क्रान्तिकारी महाशक्ति बाबू आखिर हैं कौन , तो मेरे जैसे साधारण साहित्यसाधक के लिए सर्वसंतोषदायक उत्तर देना ज़रा कठिन हो जाएगा।