गण्डस्थल का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- मांस के क्षय के लक्षण-- मांस का क्षय होने पर नितम्ब , गण्डस्थल, ओष्ट, शिश्न, ऊम, वक्षास्थल, कांख, पैर की पिण्डलियाँ, पेट और ग्रीवा में शुष्कता (क्षीणता), शरीर मेंरूक्षता, सूई चुभने जैसी पीड़ा, अ गसाद (टूटन) तचा दमनी (नाड़ी) शैथिल्यता आदि लक्षण होते हैं.
- मांस के क्षय के लक्षण-- मांस का क्षय होने पर नितम्ब , गण्डस्थल, ओष्ट, शिश्न, ऊम, वक्षास्थल, कांख, पैर की पिण्डलियाँ, पेट और ग्रीवा में शुष्कता (क्षीणता), शरीर मेंरूक्षता, सूई चुभने जैसी पीड़ा, अ गसाद (टूटन) तचा दमनी (नाड़ी) शैथिल्यता आदि लक्षण होते हैं.
- मद की अनवरत धारा बहाते हुए उसके गण्डस्थल को हाथ से छूकर सकुशल लौट आये , काल के मुख से धार्मिक और खल के मुख से साधु पुरुष की भाँति राजा उस गजराज के मुख से बचकर निकल आये , नगर में आने पर उन्होंने अपने पुत्र राजकुमार को राज्य का कार्यभार सोंप कर स्वयं गीता के सोलहवें अध्याय का पाठ करके परम गति प्राप्त की।
- गणेश भगवान का शरीर स्थूल है , मुख गजेन्द्र का है और उदर विशाल है , आकृति सर्व है , जिनके गण्डस्थल से मदधरा प्रवाहित हो रही है और भ्रमरगण मंत्रलोभ से चंचल होकर गण्डस्थल में एकत्रित हो रहे हैं , जिन्होंने अपने दन्तों के आघात से शत्रुओं को विदीर्ण करके उनके रुधिर से सिन्दूर शोभा को धारण किया है और उनका स्वरूप समस्त कर्मों में सिद्धि प्रदान करने वाला है ।।
- गणेश भगवान का शरीर स्थूल है , मुख गजेन्द्र का है और उदर विशाल है , आकृति सर्व है , जिनके गण्डस्थल से मदधरा प्रवाहित हो रही है और भ्रमरगण मंत्रलोभ से चंचल होकर गण्डस्थल में एकत्रित हो रहे हैं , जिन्होंने अपने दन्तों के आघात से शत्रुओं को विदीर्ण करके उनके रुधिर से सिन्दूर शोभा को धारण किया है और उनका स्वरूप समस्त कर्मों में सिद्धि प्रदान करने वाला है ।।