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त्रिदोषज का अर्थ

त्रिदोषज अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. त्रिदोषज में तीनों दोषों की मिश्रित चिकित्सा करे . ७-मृद्भक्षणज पाण्डु में रोगी के बलाबल को देखकर युक्तिपूर्वक तीक्ष्ण विरेचनदें.
  2. कारण- आयुर्वेद में इसे मुख्यत : त्रिदोषज यानी कफ , पित्त व वात इस तीनों के कारण ही यह रोग होता है।
  3. कारण- आयुर्वेद में इसे मुख्यत : त्रिदोषज यानी कफ , पित्त व वात इस तीनों के कारण ही यह रोग होता है।
  4. जब वात , पित्त और कफ ये तीनों दोष एक साथ मिल जाते हैं , तब इस मिश्रण को त्रिदोषज या सन्निपातज कहते हैं /
  5. जब वात , पित् त और कफ ये तीनों दोष एक साथ मिल जाते हैं , तब इस मिश्रण को त्रिदोषज या सन्निपातज कहते हैं।
  6. जब वात , पित् त और कफ ये तीनों दोष एक साथ मिल जाते हैं , तब इस मिश्रण को त्रिदोषज या सन्निपातज कहते हैं।
  7. चरक सुश्रुत तथा वाग्भट ने पाण्डु रोग के जो अलग-अलग लक्षण बताये हैं वेत्रिदोषज पाण्ड में एक देखने में आते हैं माधव ने जो ज्वर अरोचक मिंचली , वमनप्यास तथा क्लम ये लक्षण लिखे हैं वस्तुतः ये त्रिदोषज पाण्डु के असाध्य लक्षणहैं.
  8. 106 . सभी प्रकार के दर्द : -एक अनार को निचोड़कर प्राप्त हुए रस में त्रिकुटा और सेंधानमक का चूर्ण मिलाकर पीने से ` त्रिदोषज शूल ' यानी वात , कफ और पित्त के कारण होने वाली पीड़ा समाप्त हो जाती है।
  9. यह बहुत ही कष्टदायक रोग है , अधिकांशतः देखा गया है की इस रोग का कष्ट सूर्योदय से दोपहर तक रहता है और दोपहर के बाद घटना प्रारंभ हो जाता है वैसे तो यह रोग त्रिदोषज ( वाट काफ और पित्त ) होता है , लेकिन अधिकांश मामले में यह देखा गया है की वायु के कुपित होने पर वायु जब ऊपर की ओर बढ़ती है तब माइग्रेन का दौरा होता है तब गर्दन के नीचे टेम्पोरल धमनी फ़ैलाने और सिकुड़ने लगाती है .
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