त्रिलोकपति का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इसी तरह जिसे संसार की रूचि है , उसे अपने त्रिलोकपति , चैतन्य चमत्कार परमात्मा की बात में अत्यन्त अरूचि व आकुलता उत्पन्न होती है।
- इसी तरह जिसे संसार की रूचि है , उसे अपने त्रिलोकपति , चैतन्य चमत्कार परमात्मा की बात में अत्यन्त अरूचि व आकुलता उत्पन्न होती है।
- स्मरण कर प्रार्थना करें कि : ‘हे त्रिलोकपति ! मेरी लाज आपके हाथ है, अत: मुझे इस प्रण को पूरा करने की शक्ति प्रदान करें ।'
- भगवान का स्मरण कर प्रार्थना करें कि : ‘हे त्रिलोकपति ! मेरी लाज आपके हाथ है, अत: मुझे इस प्रण को पूरा करने की शक्ति प्रदान करें ।'
- चाहे कोई करोड़पति है , चाहे पृथ्वीपति ( सर्व पृथ्वी का राजा ) है , चाहे सुरपति ( स्वर्ग का राजा इन्द्र ) है , चाहे श्री ब्रह्मा , श्री विष्णु तथा श्री शिव त्रिलोकपति हैं।
- इन्द्र सभी देवताओं को साथ लेकर भगवान विष्णु के पास पहुँचा और उनकी स्तुति करने के पश्चात् दीन स्वर में उनसे प्रार्थना की , ” हे त्रिलोकपति ! राजा बलि ने सभी देवताओं को परास्त कर दिया है और अब वह एक विराट यज्ञ कर रहा है।
- शैवलोग उन परमेश्वर त्रिलोकपति को शिव के रूप में आराधना करते हैं , वेदान्तीगण ब्रह्म के रूप में , बौद्धलोग बुद्ध के रूप में , नैयायिकगण कर्त्ता के रूप में , जैनगण ‘ अर्हत् ' के रूप में एवं मीमांसक लोग कर्म के रूप में उपासना करते हैं ।