दिव्यपुरुष का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- और फिर एक गहरा भाव रह जाता है कि एक दिन यह दिव्यपुरुष ऐसे ही आंखों से ओझल हो जाएगा और मैं खड़ी - खड़ी ऐसे ही देखती रह जाऊंगी।
- प्रत्येक रमणी के अभिभावकों की अभिलाषा थी कि उनकी पुत्री छैला बाबू द्वारा पसंद कर उनकी प्रियतमा बनने का सौभाग्य प्राप्त करे और उन्हें ये दिव्यपुरुष जमाता रूप में गौरवान्वित करें . ..
- उसके हाथ में एक फन्दा था और उसकी मुखचेष्टाभयानक थी . अपनीसूक्ष्म-भौतिक देह में सावित्री उठी और उस दिव्यपुरुष को प्रणाम करकेबोली कि मैं जानती हूं कि आप कोई देवता हैं क्योंकिऐसी आक़ति मनुष्योंकी नहीं होती.
- अध्यात्म सामान्य मानव से महा मानव या महापुरुष या दिव्यपुरुष बनाने वाला एक योग साधना से सम्बंधित विस्तृत क्रियात्मक एवं अनुभूतिपरक अध्यात्मक जानकारी है , जिसके अंतर्गत शरीर में मूलाधार में स्थित सूक्ष्म शरीर रूपी जीव का कुण्डलिनी शक्ति के सहारे , दोनों नेत्रों के मध्य स्थित आज्ञाचक्र में पहुँचकर आत्मा से मिलन होता है।
- अध्यात्म सामान्य मानव से महा मानव या महापुरुष या दिव्यपुरुष बनाने वाला एक योग साधना से सम्बंधित विस्तृत क्रियात्मक एवं अनुभूतिपरक अध्यात्मक जानकारी है , जिसके अंतर्गत शरीर में मूलाधार में स्थित सूक्ष्म शरीर रूपी जीव का कुण्डलिनी शक्ति के सहारे , दोनों नेत्रों के मध्य स्थित आज्ञाचक्र में पहुँचकर आत्मा से मिलन होता है।
- अहिंसा सत्यमक्रोधस्लाग शांतिपेंशुनम् दया भूतेष्वयलोलुप्ल मार्दवं ह्रीरचापलम् तेज : क्षमा धृति : शौचमद्रोहो नातिमानिता भवन्ति संपदं : दैवीमभिजातस्य भारत हे भारत ! - अर्जुन को कृष्ण ने कहा - हे भारत , अभय , चित्तशुद्धि , योगानुराग , दान , संयम , यश , स्वाध्याय , तप , सरलता , अहिंसा , सत्य , अक्रोध , त्याग , शांति , अलोभ , अहंकारशून्यता , ही अर्थात असत कार्यो में सहज संकोच , अचंचलता , तेज , क्षमा , धृति अर्थात सुख - दुख में अविचलभाव , अद्रोह ये सब दिव्यपुरुष के लक्षण है।