पखावजी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- तो हमने उस दिन बिना सीखे ही “धा-धा-धिन-ता किट धा-धिन्ना , किट-किट-गिद-गिन धा-धा-धिन-ता” के बोलों पर वह समां बांधा था कि मथुरा के मक्खन पखावजी स्वर्ग से उतरकर वाह-वाह करने लगे थे।
- पखावजवादकों में विष्णुदेव पाठक , चन्द्र कुमार मल्लिक , रामाशीष पाठक ( दरभंगा घराना ) तथा वासुदेव उपाध्याय , बलदेव उपाध्याय , रामजी उपाध्याय और पन्नालाल उपाध्याय ( गया घराना ) ऐसे पखावजी हुए जिनका लोहा पूरे देश के संगीतकारों ने माना।
- नरियरा से जुड़े अन्य संगीतज्ञ होते थे तबला वादक पं . गोकुल प्रसाद दुबे और सारंगी वादक भारत प्रसाद , बाजा मास्टर पचकौड़ प्रसाद , भानसिंह- तबला , सुखसागर सिंह- इसराज , अफरीद के रामेश्वरधर दीवान और साहेबलाल- बांसुरी , भैंसतरा के रघुनंदनदास वैष्णव- चिकारा , जैजैपुर के महेन्द्र प्रताप सिंह पखावजी के साथ बेलारी के बसंतदास , कुथुर के शिवचरन , मेहंदी के काशीराम तथा कोसा के पुर्रूराम।
- किन्तु यह विश्वास भी है कि उनके शिष्यगण रूद्रवीणा-वादन की वैदिककालीन परम्परा को आगे बढ़ाएँगे | इस आलेख को विराम देने से पहले लीजिए सुनिए- उस्ताद असद अली खाँ का रूद्रवीणा पर बजाया राग “ शुद्ध सारंग ” में एक ध्रुवपद बन्दिश | पखावज संगति वरिष्ठ पखावजी पण्डित गोपाल दास ने की है | इसी रचना के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र अपनी ओर से और “ आवाज़ ” परिवार की ओर से उस्ताद असद अली खाँ की स्मृतियों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ |