पापबुद्धि का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- किसी नगर में धर्मबुद्धि और पापबुद्धि नाम के दो मित्र रहते थे | एक बार पापबुद्धि ने विचार किया कि वह तो मुर्ख भी है ओर दरिद्र भी | क्यों न किसी दिन धर्मबुद्धि को साथ लेकर विदेश जाया जाए | इसके प्रभाव से धान कमाकर फिर किसी दिन इसको भी ठगकर सारा धन हड़प कर लिया जाए |
- धर्मबुद्धि को पापबुद्धि का परामर्धा भा गया | उसने भी अपने गुरुजनों और परिजनों से एक दिन आज्ञा ली ओर वह पापबुद्धि के साथ विदेश-भ्रमण के लिए निकल पड़ा | इस प्रकार विदेश जाकर दोनों ने खूब धन कमाया | फिर वे अपने घर की ओर वापस चल पड़े | वापस लौटते हुए उन्हें वह दूरी खटक रही थी |
- धर्मबुद्धि को पापबुद्धि का परामर्धा भा गया | उसने भी अपने गुरुजनों और परिजनों से एक दिन आज्ञा ली ओर वह पापबुद्धि के साथ विदेश-भ्रमण के लिए निकल पड़ा | इस प्रकार विदेश जाकर दोनों ने खूब धन कमाया | फिर वे अपने घर की ओर वापस चल पड़े | वापस लौटते हुए उन्हें वह दूरी खटक रही थी |
- एक स्थान पर धन गाड़ दिया गया | फिर कुछ धन लेकर वे दोनों अपने-अपने घर जा पहुंचे अपने घर जाकर दोनों मित्रों के दिन सुख से कटने लगे | पापबुद्धि के मन में पाप था | एक दिन अवसर पाकर वह अकेला वन में आया और सारा धन निकालकर ले गया | गड्डे को उसने उसी प्रकार ढक दिया |
- इतनी कथा सुनकर करकट ने कहा , ' इसीलिए मैं कहता हूं कि हर किसी के उपदेश नहीं देना चाहिए | दुष्ट व्यक्ति अपने विनाश से उठा दुखी नहीं होता जितना कि वह दूसरों को दुखी देखकर प्रसन्न होता है | दुष्टों का यह स्वाभाविक गुण है | धर्म बुद्धि और पापबुद्धि को मैं भली-भांति जानता हूं | उनमें से पाप बुद्धि ने ही धुएं से गला घोंटकर अपने पिता को मार डाला | '
- जब वे अपने नगर के निकट आ गए तो पापबुद्धि ने धर्मबुद्धि से कहा , मित्र ! मैं समझता हूं कि इस सम्पूर्ण धन को लेकर घर जाना ठीक नहीं रहेगा | इतना धन देखकर सभी हमसे मांगने लग जाएंगे | अच्छा यही होगा कि अधिक धन यहीं कहीं जंगल में छिपाकर रख दिया जाए और थोड़ा सा लेकर घर जाया जाए | जब कभी आवश्यकता हुई तो उसके अनुसार धन यहां से निकालकर ले जाएंगे |
- पापबुद्धि ने अपनी योजना अपने पिता को बता दी | उसके अनुसार उसका पिता वृक्ष के एक कोटर में जाकर बैठ गया | दूसरे दिन प्रात : काल यथासमय पापबुद्धि न्यायधीशों तथा धर्मबुद्धि को लेकर उस स्थान पर गया जहां धन गाड़ कर रखा गया था | वहां पहुंचकर पापबुद्धि ने घोषणा की , समस्त देवगण मनुष्य के कर्मों के साक्षी हैं | ' हे भगवती वनदेवी | हम दोनों में से जो चोर हो आप उनका नाम बता दीजिए | '
- पापबुद्धि ने अपनी योजना अपने पिता को बता दी | उसके अनुसार उसका पिता वृक्ष के एक कोटर में जाकर बैठ गया | दूसरे दिन प्रात : काल यथासमय पापबुद्धि न्यायधीशों तथा धर्मबुद्धि को लेकर उस स्थान पर गया जहां धन गाड़ कर रखा गया था | वहां पहुंचकर पापबुद्धि ने घोषणा की , समस्त देवगण मनुष्य के कर्मों के साक्षी हैं | ' हे भगवती वनदेवी | हम दोनों में से जो चोर हो आप उनका नाम बता दीजिए | '
- पापबुद्धि ने अपनी योजना अपने पिता को बता दी | उसके अनुसार उसका पिता वृक्ष के एक कोटर में जाकर बैठ गया | दूसरे दिन प्रात : काल यथासमय पापबुद्धि न्यायधीशों तथा धर्मबुद्धि को लेकर उस स्थान पर गया जहां धन गाड़ कर रखा गया था | वहां पहुंचकर पापबुद्धि ने घोषणा की , समस्त देवगण मनुष्य के कर्मों के साक्षी हैं | ' हे भगवती वनदेवी | हम दोनों में से जो चोर हो आप उनका नाम बता दीजिए | '
- वहां जाकर जब स्थान को खोदा तो जिस पात्र में धन रखा था वह खाली पाया | पापबुद्धि ने वहीं पर अपना सर पीटना आरम्भ कर दिया | उसने धर्मबुद्धि पर आरोप लगाया कि उसने हि वह धन चुरा लिया है , नहीं तो उस स्थान पर उस धन के बारे में उसके अतिरिक्त और कौन जाता था | उसने कहा कि वह जो धन लेकर गया है | उसका आधा भाग उसको दे दे | अन्यथा वह राजा के पास जाकर निवेदन करेगा |