मधुप्रमेह का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- अतिशय उल्टियाँ होने के कारण निम्न हो सकते है : जुड़वाँ बालक होना, खून का ऊँचा दबाव, असामान्य गर्भ, पीलिया, एसिडिटी, मधुप्रमेह तथा मूत्र पिण्ड की कोई तकलीफ.
- इसके अलावा अजीर्ण , मधुप्रमेह , शूल , कर्णरोग , शिरोरोग एवं कफ के रोगों आदि में मरीज की प्रकृति क अनुसार एवं दोष का विचार करके करेले की सब्जी देना लाभप्रद है।
- इसके अलावा अजीर्ण , मधुप्रमेह , शूल , कर्णरोग , शिरोरोग एवं कफ के रोगों आदि में मरीज की प्रकृति क अनुसार एवं दोष का विचार करके करेले की सब्जी देना लाभप्रद है।
- धातुक्षय , गैस , मधुप्रमेह , स्वप्नदोष , अजीर्ण , कमर का दर्द , गर्दन की दुर्बलता , बन्धकोष , मन्दाग्नि , सिरदर्द , क्षय , हृदयरोग , अनिद्रा , दमा , मूर्छारोग , बवासीर , उल्टी , हिचकी , अतिसार , उदररोग , नेत्रविकार आदि असंख्य रोगों में इस आसन से लाभ होता है।
- धातुक्षय , गैस , मधुप्रमेह , स्वप्नदोष , अजीर्ण , कमर का दर्द , गर्दन की दुर्बलता , बन्धकोष , मन्दाग्नि , सिरदर्द , क्षय , हृदयरोग , अनिद्रा , दमा , मूर्छारोग , बवासीर , उल्टी , हिचकी , अतिसार , उदररोग , नेत्रविकार आदि असंख्य रोगों में इस आसन से लाभ होता है।
- धातुक्षय , गैस , मधुप्रमेह , स्वप्नदोष , अजीर्ण , कमर का दर्द , गर्दन की दुर्बलता , बन्धकोष , मन्दाग्नि , सिरदर्द , क्षय , हृदयरोग , अनिद्रा , दमा , मूर्छारोग , बवासीर , आंत्रपुच्छ , पाण्डुरोग , जलोदर , भगन्दर , कोढ़ , उल्टी , हिचकी , अतिसार , आँव , उदररोग , नेत्रविकार आदि असंख्य रोगों में इस आसन से लाभ होते हैं।
- धातुक्षय , गैस , मधुप्रमेह , स्वप्नदोष , अजीर्ण , कमर का दर्द , गर्दन की दुर्बलता , बन्धकोष , मन्दाग्नि , सिरदर्द , क्षय , हृदयरोग , अनिद्रा , दमा , मूर्छारोग , बवासीर , आंत्रपुच्छ , पाण्डुरोग , जलोदर , भगन्दर , कोढ़ , उल्टी , हिचकी , अतिसार , आँव , उदररोग , नेत्रविकार आदि असंख्य रोगों में इस आसन से लाभ होते हैं।