मुँदरी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- ' लक्ष्मीबाई रासो' (१९०४ ई.) में सैनिकों की सज्जा के लिए करधौनी बजुल्ला, कंकन, तोड़ा, पौंचियाँ, मुँदरी, छला, गुंज, गोप, सेली जैसे गहनों का उल्लेख है (भाग ४, छंद ११) ।
- और मैं नहीं सोच पा रहा कि किस से ज्यादा प्रभावित हूँ : साड़ी के फैलाव पर रचे गये जगत् से , या मुँदरी के वृत्त में से उसके गुजार दिए जा सकने से।
- उसमें पैर कीर अंगुलियों के बिछिया और अनौट ( अनवट, जो बुंदेली में अनौटा हो गया है), पैरों के बाँकों, घुँघरु और जेहर; कटि के छुद्रघंटिका (करधनी), हाथ की अँगुलियों के मुँदरी, हाथ के कौंचा में पौंची, कंकन, वलय और चूड़ी;
- गिरीश : एक सोने के छल्ले के लिये , एक टके की मुँदरी के लिये जो आपने दी थी और जिस पर यह वाक्य खुदा था जैसा प्रायः बिसातियों की छुरियों पर लिखा होता है-मुझसे स्नेह रक्खो और कभी जुदा न हो ' ।
- हर बिरवे पर मुँदरी जैसा एक फूल है अनुपम , मनोहर , हर एसी मनहर मुंदरी को मीनों नें चंचल आँखों से नीले सागर के रेशम के रश्मि तार से , - हर पत्ती पर बड़े चाव से-बड़ी जतन से- अपने अपने प्रेमीजन को देने के खातिर काढ़ा था सदियों पहले .
- आदिम जाति कल्याम विभाग के छतरपुर हॉस्टल में सेवारत कन्नू कोंदर की पत्नी से साक्षात्कार करने पर कोंदरों के परम्परित जेवरों में केवल टोड़र , पैजना, करधौनी, बहुँटा, चंदौली, कँटीला गजरा, मुँदरी, छला, कन्नफूल, पुँगारिया, खँगौंरिया और टकार तथा पुरुषों के घुँघरु आभूषणों के नाम मिले, जो उसने अपनी पिछली पीढ़ी, में प्रचलित देखे थे ।
- उस ने मुँदरी में से पूरी साड़ी गुजार दी और कहा , '' देखिए ! '' मैंने साड़ी फैलायी और देखता रहा : कितने बेल-बूटे , फल-फूल , कैरियाँ , कमल-वन , गुलाब-गाछी : और फिर जहाँ-तहाँ पशु-पक्षी-मोर-मुरैले , हंस , हाथी , हिरनों के जोड़े-और ये क्या हैं ? सांकेेतिक बँगले या कुटी र. ..