सुरत्व का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- मनुष्य यदि ऊपर उठना चाहे तो देवताओं से भी ऊपर जा सकता है और नीचे गिरना चाहे तो पशुओं से भी निकृष्ट बन सकता है इसीलिये मैथिलीशरण गुप्त जी ने पंचवटी में कहा हैः मैं मनुष्यता को सुरत्व की जननी भी कह सकता हूँ किन्तु मनुष्य को पशु कहना भी कभी नहीं सह सकता हूँ
- झुका शीश आख़िर वे बोले , ' अब क्या बात कहूँ मैं ? करके ऐसा पाप मूक भी कैसे , किन्तु रहूं मैं ? ' पुत्र ! सत्य तूने पहचाना , मैं ही सुरपति हूँ , पर सुरत्व को भूल निवेदित करता तुझे प्रणति हूँ , देख लिया , जो कुछ देखा था कभी न अब तक भू पर , आज तुला कर भी नीचे है मही , स्वर्ग है ऊपर . ' क्या कह करूँ प्रबोध ? जीभ काँपति , प्राण हिलते हैं , माँगूँ क्षमादान , ऐसे तो शब्द नही मिलते हैं .