सुर्ख़रू का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- फिर कहीं जा के जबीं को ये शरफ़ मिलता है चूम लेता हूँ तेरे दर को नज़र से पहले सुर्ख़रू दारैन में गर तुझको होना है रशीद मुँह पे मलने के लिए ख़ाक ए मदीना चाहिए रशीद इक बार फिर उस आस्ताँ पर हाज़िरी होगी मगर अपने नसीबों में लिखा होना ज़रूरी है नज़र दौलत , दिल दरिया, मुक़द्दर का सिकन्दर है हक़ीक़त में तेरे दर का गदा शाहों से बेहतर है ' शरार ए तीशा' की ग़ज़लों में रिवायती अल्फ़ाज़ नहीं के बराबर हैं।
- फिर कहीं जा के जबीं को ये शरफ़ मिलता है चूम लेता हूँ तेरे दर को नज़र से पहले सुर्ख़रू दारैन में गर तुझको होना है रशीद मुँह पे मलने के लिए ख़ाक ए मदीना चाहिए रशीद इक बार फिर उस आस्ताँ पर हाज़िरी होगी मगर अपने नसीबों में लिखा होना ज़रूरी है नज़र दौलत , दिल दरिया , मुक़द्दर का सिकन्दर है हक़ीक़त में तेरे दर का गदा शाहों से बेहतर है ' शरार ए तीशा ' की ग़ज़लों में रिवायती अल्फ़ाज़ नहीं के बराबर हैं।