स्वरभंग का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इसीकारण इसका प्रयोग सर्दी जुकाम , खांसी , स्वरभंग , आदि में विशेष रूप से किया जाता हे।
- इसीकारण इसका प्रयोग सर्दी जुकाम , खांसी , स्वरभंग , आदि में विशेष रूप से किया जाता हे।
- सात्विक अनुभाव : अर्थात (अनिच्छित)आठ भेद हैं - स्तंभ, स्वेद, रोमांच, स्वरभंग, वेपथु (कम्प), वैवर्ण्य, अश्रु और प्रलय।
- फूलों का शर्बत कफ प्रकोप , क्षय, खांसी, श्वास, स्वरभंग, मूत्र रोग और जीर्ण ज्वर के इलाज में दिया जाता है।
- स्वरभंग की दशा में काशीनाथ जी ने कहा , '' नहीं दिनेश जी ! नहीं !! यह बात सच नहीं लगती।
- स्वरभंग ( गला बैठने पर ) होने पर सुहागे की टिकिया चूसते रहने से बैठे हुए गले में जल्दी आराम आता है।
- इसे मुंह में रखकर चूसने से कफ आसानी से निकल जाता है , खांसी में आराम होता है, गले की खराश और स्वरभंग में लाभ होता है।
- यह चूर्ण आधी चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन 3 बार सेवन करने से खांसी ठीक होती है और बन्द गला ( स्वरभंग ) खुल जाता है।
- स्तम्भ , स्वेद , रोमांच , स्वरभंग , वेपथु , वैवण्य , अश्रु , प्रलय 246 नायिका के अनुभाव माने गए है - 28 प्रकार के।
- स्तम्भ , स्वेद , रोमांच , स्वरभंग , वेपथु , वैवण्य , अश्रु , प्रलय 246 नायिका के अनुभाव माने गए है - 28 प्रकार के।