कथावत्थु वाक्य
उच्चारण: [ kethaavetthu ]
उदाहरण वाक्य
- पाँचवें ग्रंथ कथावत्थु की रचना अशोक के गुरु मोग्गलिपुत्त तिस्स ने की, जिसमें उन्होंने संघ के अंतर्गत उत्पन्न हो गई मिथ्या धारणाओं का निराकण किया।
- कथावस्तु में सर्वप्रथम पुद्गलवाद का खंडन मिलता है और यह विचारपूर्वक प्रतिपादित किया गया है कि यह प्रथम पुद्गलकथा निस्संदेह कथावत्थु के प्राचीनतम अंशों में है।
- कथावत्थु के अनुसार अपरशैलीय मानते थे कि भोजन-पान के कारण अर्हत् का भी वीर्यपतन संभव है, व्यक्ति का भाग्य उसके लिए पहले से ही नियत है तथा एक ही समय अनेक वस्तुओं की ओर हम ध्यान दे सकते हैं।
- यही कारण है कि तृतीय संगीति के अवसर पर जो सम्राट् अशोक के काल में पाटलिपुत्र (पटना) में आयोजित हुई थी, उसमें मुद्गलीपुत्र तिष्य ने स्वविरवाद से भिन्न सत्रह निकायों का खण्डन करते हुए जिस ' कथावत्थु ' नामक ग्रन्थ की रचना की थी, उस ग्रन्थ में उन्होंने सर्वप्रथम पुद्गलवादी वात्सीपुत्रीयों का ही खण्डन किया।