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कविसमय वाक्य

उच्चारण: [ kevisemy ]

उदाहरण वाक्य

  1. अंधविश्वास, किंवदंती और काल्पनिक मान्यता से युक्त इस पक्षी की तथाकतित उपर्युक्त विशेषता ने इसे कविसमय तथा रूढ़ उपमान के रूप में प्रसिद्ध कर दिया है।
  2. एक प्राचीन कविसमय के अभिप्राय की नई उदभावना की गई है कि, प्रभु के चरणों के नखों में सूर्य की ज्योति का प्रकाश है, वहाँ रात की कोई सम्भावना नहीं, वहाँ समस्त द्वन्द्वों की विश्रान्ति है।
  3. ११ वें से १ ८ वें अध्याय तक शब्दहरण, काव्यहरण, कविसमय, भारत तथा संसार के भूगोल, घटनाओं, स्थानों एवं व्यक्तियों के वर्णन की प्राचीन पद्धतियों, कालगणना तथा ऋतुपरिवर्तनों का परिचय है।
  4. एक प्राचीन कविसमय के अभिप्राय की नई उदभावना की गई है कि, प्रभु के चरणों के नखों में सूर्य की ज्योति का प्रकाश है, वहाँ रात की कोई सम्भावना नहीं, वहाँ समस्त द्वन्द्वों की विश्रान्ति है।
  5. १), अमरचंद्र (काव्यकल्पलतावृत्ति, प्रतान १), केशवमिश्र (अलंकारशेखर, रत्न ६), तथा हिंदी के आचार्यों केशवदास (कविप्रिया, चौथा प्रभाव) और जगन्नाथप्रसाद “भानु' (काव्यप्रभाकर, मयूख ११ इत्यादि ने कविसमय पर जो विवेचन किए हैं, वे प्राय: सभी राजशेखर के आधार पर हैं।
  6. यहाँ इस तथ्य का भ उल्लेख कर देना आवश्यक है कि कला में किसी काल्पनिक या वास्तविक वस्तु को अलंकृति मात्र के लिए अभिप्राय के रूप में प्रयुक्त किया जाता है जब कि काव्य में अभिप्राय या कविसमय मुख्यस्वरूप से उस परंपरागत विचार (आइडिया) को कहते हैं जो अलौकिक और अशास्त्रीय होते हुए भी उपयोगिता और अनुकरण के कारण कवियों द्वारा गृहीत होता है तथा बाद में चलकर रूढ़ हो जाता है।
  7. इसके संबंध में प्रचलित किंवदंती, जो कविसमय के रूप में प्रसिद्ध होकर भारतीय प्राचीन और अर्वाचीन काव्यों में प्रयुक्त हुई है तथा जिसका इस अर्थ में सबसे पुराना प्रयोग अथर्ववेद (4.2.64) में दंपति की परस्पर निष्ठा और प्रेम जैसी चारित्रिक विशेषता के संदर्भ में हुआ है, यह है कि इसके जोड़े दिन में तो प्रेमपूर्वक साथ साथ विचरते हें किंतु सूर्यास्त के बाद बिछुड़ जाते हैं ओर रात भर अलग रहते हैं।
  8. इसके संबंध में प्रचलित किंवदंती, जो कविसमय के रूप में प्रसिद्ध होकर भारतीय प्राचीन और अर्वाचीन काव्यों में प्रयुक्त हुई है तथा जिसका इस अर्थ में सबसे पुराना प्रयोग अथर्ववेद (4.2.64) में दंपति की परस्पर निष्ठा और प्रेम जैसी चारित्रिक विशेषता के संदर्भ में हुआ है, यह है कि इसके जोड़े दिन में तो प्रेमपूर्वक साथ साथ विचरते हें किंतु सूर्यास्त के बाद बिछुड़ जाते हैं ओर रात भर अलग रहते हैं।
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