त्रिष्टुप वाक्य
उच्चारण: [ terisetup ]
उदाहरण वाक्य
- ब्रह्म स्वरूपाय श्री महागणेशाय नमः अथर्ववेद 5-17 ब्रह्मजाया सूक्त [ऋषी-मायोभू, देवता-ब्रह्मजाया, छंद-अनुष्टुप,1-6 त्रिष्टुप] यंहा ब्रह्मजाया के विषय मे कहा गया है ।
- देवताओं ने विष्णु को पूर्व की ओर रखकर अनुष्टुप छन्द से परिवृत किया तथा बोले-” तुमको दक्षिण दिशा में गायत्री छन्द से, पश्चिम दिशा में त्रिष्टुप छन्द से और उत्तर दिशा में जगती छन्द से परिवेष्टित करते हैं।
- ऋष्यादिन्यास मंत्र: ¬ नारद ऋषये नमः (शिरसि), ¬ त्रिष्टुप छन्दसे नमः (मुखे), ¬ बगलामुखी देवतायै नमः (हृदयोः), ींीं बीजाय नमः गुह्ये स्वाहा शक्तये नमः पादयोः हल्री कीलकाय नमः नाभौ ¬ विनियोगाय नमः (सर्वांगे) ऋष्यादिन्यास के पश्चात करन्यास निम्नलिखित मंत्र से करना चाहिए।
- लौकिक-संस्कृत, पाली, अपभ्रंश तथा मध्ययुगीन भक्तिकालीन हिन्दी / काव्यधारा में जहां अनुष्टुप, इन्द्रवज्रा, शार्दुलविक्रीडित, द्रुतविलम्बित, शिखरणी, मालिनी, मन्दाक्रान्ता आदि छन्दों का पिरयोग देखने को मिलता है, वहीं दूसरी ओर वेदों, संहिताओं, षड्दर्शन तता उपनिषदों में उक्त छन्तों के अलावा गायत्री, जगती, वृहती, त्रिष्टुप, उष्णिक, भूरिक तथा प्रगाथ आदि छन्दों का प्रयोग प्रधानता से किया गया है।