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ब्राह्मणग्रन्थ वाक्य

उच्चारण: [ beraahemnegarenth ]

उदाहरण वाक्य

  1. जहाँ सीधे विनियुक्त स्तोत्रिया के अर्थ से औचित्य की प्रतीति नहीं हो पाती, वहाँ ब्राह्मणग्रन्थ मन्त्रगत देवों से कृत्य को सम्बद्ध करते हैं।
  2. जहाँ सीधे विनियुक्त स्तोत्रिया के अर्थ से औचित्य की प्रतीति नहीं हो पाती, वहाँ ब्राह्मणग्रन्थ मन्त्रगत देवों से कृत्य को सम्बद्ध करते हैं।
  3. इन्हीं के माध्यम से ब्राह्मणग्रन्थ कर्मानुष्ठानों में प्रेरित करते हैं, जैसा कि आपस्तम्ब का यज्ञपरिभाषा [15] में कथन है-' कर्मचोदना ब्राह्मणानि ' ।
  4. इस प्रकार यह ब्राह्मणग्रन्थ श्रौतयागों के साथ ही लोक-विश्वासों के आधार पर चलने वाले समानान्तर धार्मिक विश्वासों से सम्बद्ध आनुष्ठानिक कृत्यों का भी श्रौतस्वरूप में ही प्रस्तावक है।
  5. ** मुख्य ब्राह्मणग्रन्थ पाँच हैं-# [[ऐतरेय ब्राह्मण]], # [[तैत्तिरीय ब्राह्मण]], # तलवकार ब्राह्मण, # [[शतपथ ब्राह्मण]] और # ताण्डय ब्राह्मण।
  6. जहाँ तक विभिन्न यज्ञ-कृत्यों में विनियुक्त मन्त्रों के औचित्यप्रदर्शन की बात है, ब्राह्मणग्रन्थ उस बिन्दु के अनावरण का पूर्ण प्रयत्न करते हैं, जिसके कारण उस मन्त्रविशेष का किसी कृत्यविशेष में विनियोग किया गया है।
  7. जहाँ तक विभिन्न यज्ञ-कृत्यों में विनियुक्त मन्त्रों के औचित्यप्रदर्शन की बात है, ब्राह्मणग्रन्थ उस बिन्दु के अनावरण का पूर्ण प्रयत्न करते हैं, जिसके कारण उस मन्त्रविशेष का किसी कृत्यविशेष में विनियोग किया गया है।
  8. इस बिन्दु पर ब्राह्मणग्रन्थ उसे आश्वस्त कर देते हैं कि यह वस्तुत: समस्त फलों का साधन होने के कारण मुख्य है, इसके विपरीत अन्य याग एक-एक फल देने वाले हैं, इसलिए अग्निष्टोम के अनुष्ठान से समस्त फल प्राप्त होते हैं।
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